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श्रीमद् भगवद गीता (Shrimad Bhagavad Geeta)
माहात्म्य - श्लोक - अनुवाद
पूज्य बापू का पावन सन्देश
हम धनवान होंगे या नहीं, यशस्वी होंगे या नहीं, चुनाव जीतेंगे या नहीं इसमें शंका हो सकती है परन्तु भैया ! हम मरेंगे या नहीं इसमें कोई शंका है? विमान उड़ने का समय निश्चित होता है, बस चलने का समय निश्चित होता है, गाड़ी छूटने का समय निश्चित होता है परन्तु इस जीवन की गाड़ी के छूटने का कोई निश्चित समय है?
आज तक आपने जगत का जो कुछ जाना है, जो कुछ प्राप्त किया है.... आज के बाद जो जानोगे और प्राप्त करोगे, प्यारे भैया ! वह सब मृत्यु के एक ही झटके में छूट जायेगा, जाना अनजाना हो जायेगा, प्राप्ति अप्राप्ति में बदल जायेगी।
अतः सावधान हो जाओ। अन्तर्मुख होकर अपने अविचल आत्मा को, निजस्वरूप के अगाध आनन्द को, शाश्वत शांति को प्राप्त कर लो। फिर तो आप ही अविनाशी आत्मा हो।
जागो.... उठो..... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ। सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो। आत्मा में अथाह सामर्थ्य है। अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें ऊपर उठा सके। अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोकी में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके।
सदा स्मरण रहे कि इधर-उधर वृत्तियों के साथ तुम्हारी शक्ति भी बिखरती रहती है। अतः वृत्तियों को बहकाओ नहीं। तमाम वृत्तियों को एकत्रित करके साधना-काल में आत्मचिन्तन में लगाओ और व्यवहार काल में जो कार्य करते हो उसमें लगाओ। दत्तचित्त होकर हर कोई कार्य करो। सदा शान्त वृत्ति धारण करने का अभ्यास करो। विचारवन्त और प्रसन्न रहो। जीवमात्र को अपना स्वरूप समझो। सबसे स्नेह रखो। दिल को व्यापक रखो। आत्मनिष्ठा में जगे हुए महापुरुषों के सत्संग तथा सत्साहित्य से जीवन की भक्ति और वेदान्त से पुष्ट तथा पुलकित करो।
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अनुक्रम
श्रीमद् भगवद्गीता माहात्म्य ।
श्रीगीतामाहात्म्य का अनुसंधान ।
गीता में श्रीकृष्ण भगवान के नामों के अर्थ ।
अर्जुन के नामों के अर्थ ।
पहले अध्याय का माहात्म्य । पहला अध्यायः अर्जुनविषादयोग ।
दूसरे अध्याय का माहात्म्य । दूसरा अध्यायः सांख्ययोग ।
तीसरे अध्याय का माहात्म्य । तीसरा अध्यायः कर्मयोग ।
चौथे अध्याय का माहात्म्य । अध्याय चौथाः ज्ञानकर्मसंन्यासयोग ।
पाँचवें अध्याय का माहात्म्य । पाँचवाँ अध्यायः कर्मसंन्यासयोग ।
छठे अध्याय का माहात्म्य । छठा अध्यायः आत्मसंयमयोग ।
सातवें अध्याय का माहात्म्य । सातवाँ अध्यायःज्ञानविज्ञानयोग ।
आठवें अध्याय का माहात्म्य । आठवाँ अध्यायः अक्षरब्रह्मयोग ।
नौवें अध्याय का माहात्म्य । नौवाँ अध्यायः राजविद्याराजगुह्ययोग ।
दसवें अध्याय का माहात्म्य । दसवाँ अध्यायः विभूतियोग ।
ग्यारहवें अध्याय का माहात्म्य । ग्यारहवाँ अध्यायः विश्वरूपदर्शनयोग ।
बारहवें अध्याय का माहात्म्य । बारहवाँ अध्यायः भक्तियोग ।
तेरहवें अध्याय का माहात्म्य । तेरहवाँ अध्यायः क्षेत्रक्षत्रज्ञविभागयोग ।
चौदहवें अध्याय का माहात्म्य । चौदहवाँ अध्यायः गुणत्रयविभागयोग ।
पंद्रहवें अध्याय का माहात्म्य । पंद्रहवाँ अध्यायः पुरुषोत्तमयोग ।
सोलहवें अध्याय का माहात्म्य । सोलहवाँ अध्यायः दैवासुरसंपद्विभागयोग ।
सत्रहवें अध्याय का माहात्म्य । सत्रहवाँ अध्यायः श्रद्धात्रयविभागयोग ।
अठारहवें अध्याय का माहात्म्य ।
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