
आत्मयोग
‘आत्मयोग’ पुस्तक में भक्ति, योग और ज्ञानमार्ग के पवित्र आत्माओं के लिए सहज में अंतस्तल से स्फुरित महापुरुषों की वाणी निहित है, जिसमें गीता, भागवत, रामायण आदि के प्रमाणसहित उन सत्पुरुषों के अनुभव छलकते हैं । यह जितना गूढ़ विषय है उतना ही सरल भी है । चाहे भक्त हो, योगी हो, ज्ञानमार्गी हो, किसी भी धर्म, मत, पंथ, विचारों को माननेवाला हो - सबको इस ओजपूर्ण, अनुभव-सम्पन्न ‘आत्मयोग’ करानेवाली दिव्य वाणी से प्रेरणा मिलेगी और अपने मार्ग में सहजता से आगे बढ़कर अपने लक्ष्य तक पहुँचने में मदद मिलेगी ।
‘आत्मयोग’ पुस्तक में है :
* आत्मसाक्षात्कार की कुंजियाँ
* आप कौन हैं, खोजो अपने-आपको ?
* भवसागर का किनारा है वैराग्य
* आत्मशक्ति के खजाने को खोलने की कुंजियाँ
* शुद्ध चित्त का निर्माण कैसे हो ?
* साधक की शंका व पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा उसका समाधान
* राजा जनक का आत्म-विचार
* ...इसके अलावा किसीका सहारा टिकेगा नहीं
* क्षण का भी प्रमाद मृत्यु है
* महात्मा बुद्ध ने, राजा भर्तृहरि ने राजपाट किसके लिए ठुकरा दिया ?
* आत्मनिष्ठ हो रहो...
* प्रगाढ़ ध्यान की ओर
* चित्त-विश्रांति का एक प्रयोग
* स्नेह के सागर परमात्मा को प्रार्थना
* सद्गुरु की रहमत...
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