
अनन्य योग
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताये गये अनन्य योग को पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ने अपने सत्संगों में सरल व बड़े ही रसमय तरीके से बताया है । पूज्य बापूजी की जीवनोद्धारक अमृतवाणी का संकलन है यह ‘अनन्य योग’ सत्साहित्य । इसमें पायेंगे :
* क्या है अनन्य योग, जिससे मिट जाता है जन्म-मरण का रोग ?
* भगवान से अनन्य योग कैसे हो ?
* रुचि अनुसार नहीं, आवश्यकता के अनुसार करें कर्म
* कैसा था गोरा कुम्हार का अनन्य योग ?
* प्राप्ति क्या है और प्रतीति क्या है ?
* हजारों वर्ष के भोग के बाद भी अशांति बनी रही (राजा ययाति का प्रसंग)
* जीवन जीने का सही ढंग क्या है ?
* यार ! तू मुझे धोखा नहीं दे सकता
* ऐसो खेल रच्यो मेरे दाता ज्याँ देखूँ वा तू को तू (भजन)
* विचारों का चमत्कारिक प्रभाव
* बंधे को बंधा मिले छूटे कौन उपाय...
* यह काम तो अवश्य करना
* अज्ञान को कैसे मिटायें ?
* आत्मभाव में ही सच्चा सुख है
* तर्क्यताम्... मा कुतर्क्यताम्
* आस्तिक और नास्तिक में क्या फर्क है ?
* सुख-दुःख से कैसे लाभ उठायें ?
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