
'बाल संस्कार केन्द्र' पाठ्यक्रम
प्रस्तावना
जिस प्रकार की नींव होती है उसी के अनुरूप उस पर खड़े भवन की मजबूती भी होती है। यदि नींव ही कमजोर हो तो उस पर भव्य भवन का निर्माण कैसे हो सकता है ? बच्चे भावी समाज की नींव होते हैं । लेकिन आज के दूषित वातावरण में बच्चों पर ऐसे-ऐसे गलत संस्कार पड़ रहे हैं कि उनका जीवन पतन की ओर जा रहा है । बालकरूपी नींव ही कच्ची हो तो सुदृढ़ नागरिकों से युक्त समाज कहाँ से बनेगा ?
किसी भी परिवार, समाज अथवा राष्ट्र का भविष्य उसके बालकों पर निर्भर होता है । उज्जवल भविष्य के लिए हमें बालकों को सुसंस्कारित करना होगा । बालकों को भारतीय संस्कृति के अनुरूप शिक्षा देकर हम एक आदर्श राष्ट्र के निर्माण में सहभागी हो सकते हैं ।
ब्रह्मनिष्ठ संत श्री आसारामजी बापू के मार्गदर्शन में हो रही बाल विकास की विभिन्न सेवा-प्रवृत्तियों द्वारा बच्चों को ओजस्वी, तेजस्वी, यशस्वी बनाने हेतु भारतीय संस्कृति की अनमोल कुंजियाँ प्रदान की जा रही हैं । इन्हीं सत्प्रवृत्तियों में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं देश में व्यापक स्तर पर चल रहे 'बाल संस्कार केन्द्र' ।
इन केन्द्रों में विभिन्न महापुरूषों के जीवन चरित्र पर आधारित प्रसंगों के माध्यम से विद्यार्थियों में ससंस्कारों का सिंचन किया जाता है । उनमें हमारी दिव्य संस्कृति, जीवन जीने की उत्तम कला सिखाने वाले महापुरूषों तथा माता-पिता एवं गुरूजनों के प्रति श्रद्धाभाव जगे, ऐसे कथा-प्रसंग बताये जाते हैं ।
बाल संस्कार केन्द्र संचालन निर्देशिका में दी हुई 2 घँटे की कार्यप्रणाली में से पर्व महिमा, ऋतुचर्या, कथा-प्रसंग एवं अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों पर प्रति सप्ताह विस्तृत पाठ्यक्रम के रूप में यह पुस्तिका प्रस्तुत की जा रही है । देशभर में चल रहे सभी केन्द्रों में एकरूपता व सामंजस्यता स्थापित हो यह इस पुस्तिका के प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य है ।
बाल संस्कार केन्द्र संचालक इस बात ध्यान रखें कि जिस माह से वे इस पुस्तक के अनुसार पढ़ाना शुरू करें, उस माह के त्यौहार, जयंतियाँ, ऋतुचर्या कैलेण्डर में देखें । फिर इस पुस्तक की अनुक्रमणिका में उससे सम्बन्धित लेख देखकर उससे सम्बन्धित सत्र से पढ़ाना शुरू करें । पुस्तक में दिया हुआ पहला सत्र जनवरी के प्रथम सप्ताह में पढ़ाने के लिए है ।
यह पाठ्यक्रम वर्ष भर में आने वाले व्रत, त्यौहार तथा महापुरूषों की जयंतियों आदि के आधार पर बनाया गया है । केन्द्र संचालकों से निवेदन है कि अन्य वर्षों में व्रत त्यौहार, महापुरूषों की जयंति-तिथियों, तारीखों के अनुसार विषयों को बदल कर पढ़ा सकते हैं ।
सत्र 1 से 52 तक का अभिप्रायः वर्ष के 52 सप्ताहों से है । प्रत्येक वर्ष सत्र 1 जनवरी के प्रथम सप्ताह से शुरू होगा ।
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अनुक्रमणिका
* माता-पिता-गुरू की सेवा का महत्त्व * धर्म की वेदी पर बलिदान देने वाले चार अमर शहीद
* तिलकः बुद्धिबल एवं सत्त्वबलवर्धक * मकर-सक्रान्ति * मातृ-पितृभक्त पुण्डलीक
* सबमें गुरू का ही स्वरूप नजर आता है * शरीर से हिन्दुस्तानी परंतु दिमाग से अंग्रेज
* भारतीय संस्कृति की गरिमा के रक्षकः स्वामी विवेकानंद * स्वभाषा का प्रयोग करें
* 'हाय-हेलो' से बड़ों का अपमान न करें...... * परिश्रम के पुष्प * सत्य के समान कोई धर्म नहीं
* शिवाजी का बुद्धि चातुर्य * वसंत ऋतुचर्या * परीक्षा में सफलता कैसे पाये ?
* मन का प्रभाव तन पर * शिवजी का अनोखा वेशः देता है दिव्य संदेश * महाशिवरात्रि का पूजन
* यह कैसा मनोरंजन ? * अपने नौ-जवानों को बचाने का प्रयास करें
* भेद में अभेद के दर्शन कराता हैः होलिकोत्सव * व्यक्ति की परख रंगों से
* गामा पहलवान की सफलता का रहस्य * शक्ति-संचय का महान स्रोतः मौन
* वास्कोडिगामा ने भारत खोजा नहीं अपितु लूटा था * स्वधर्मे निधनं श्रेयः
* जरूरत है लगन और दृढ़ता की.......* विद्यार्थी छुट्टियाँ कैसे मनायें ?
* बाल्यकाल से ही भक्ति का प्रारंभ * समय की कीमत * ग्रीष्म ऋतु में आहार-विहार
* महापुरूषों के मार्गदर्शन से सँभल जाता है जीवन * हक की रोटी * रतनबाई की गुरूभक्ति
* सात्त्विक, राजसिक तथा तामसिक भोजन से होता है तदनुसार स्वभाव का निर्माण
* माता सीताजी का आदर्श * द्रौपदी का अक्ष्यपात्र * सौन्दर्य प्रसाधन हैं सौन्दर्य के शत्रु
* मम्मी डैडी कहने से माता-पिता का आदर या हत्या ?
* ममी (Mummy) अर्थात् वर्षों पुराना शव * डैडी बनाम डेड (Dead) अर्थात् मृत व्यक्ति
* गुरू तेग बहादुरः धर्म की रक्षा के लिए किया प्राणों का बलिदान * देवव्रत की भीष्म प्रतिज्ञा
* ज्ञान का आदर * हे विद्यार्थियो ! जिज्ञासु बनो * भगवद् आराधना, नामसंकीर्तन का फल
* मनोनिग्रह की अदभुत साधनाः एकादशी व्रत * निर्जला एकादशी * डिब्बापैक फलों के रस से बचो
* ताजा नाश्ता करना न भूलें * निद्रा के सामान्य नियम
* वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य-रक्षा के कुछ आवश्यक नियम
* संत निंदा जिसके घर, वह घर नहीं, यम का दर * काशीनरेश की न्यायप्रियता
* असीम करूणा के धनीः संत एकनाथ जी महाराज * सूर्योपासना * रामभक्त लतीफशाह
* गुरूभक्त संदीपक * नेता जी सुभाषचन्द्र बोस की महानता का रहस्य
* भगवान स्वयं अवतार क्यों लेते हैं ? * कितने सुरक्षित हैं क्रीम तथा टेलकम पाउडर ?
* सौन्दर्य प्रसाधनों में छिपी हैं कई मूक चीखें * कैन्सर का खतरा बढ़ा रहे हैं झागवाले शैम्पू
* धर्मांतरण के विरूद्ध किया उग्र आन्दोलन
* पीनियल ग्रन्थि (योग में-आज्ञाचक्र) की क्रियाशीलता का महत्त्व * शुभ संकल्पों का पर्व रक्षाबंधन
* स्मरणशक्ति कैसे बढ़ायें ? * बौद्धिक बल बढ़ायें * दिमागी ताकत के लिए कुछ उपाय
* प्रेमावतार का प्रागट्य-दिवसः जन्माष्टमी * दयालु बालक शतमन्यु
* अभ्यास में रूचि क्यों नहीं होती ? * आप चाकलेट खा रहे हैं या निर्दोष बछड़ों का मांस ?
* असफल विद्यार्थियों को सफल बनाने के नुस्खे * निराकार हुए साकार जब....
* गणपति जी का श्रीविग्रहः मुखिया का आदर्श * जन्मदिन कैसे मनाएँ ?
* मांसाहार छोड़ो... स्वस्थ रहो * कोलस्टरोल नियंत्रित करने का आयुर्वैदिक उपचार
* मांसाहारः गंभीर बीमारियों को बुलावा
* मांसाहारी मांस खाता है परंतु मांस उसकी हड्डियों को ही खा जाता है ! * अण्डाः रोगों का भण्डार
* पौष्टिकता की दृष्टि से शाकाहारी सब्जियों से अण्डे की तुलना
* आध्यात्मिक दृष्टि से मानव जीवन पर अण्डा सेवन का दुष्प्रभाव
*अण्डा जहर है * कहीं आप भी सॉफ्टड्रिंक पीकर मांसाहार तो नहीं कर रहे हैं ?
* विज्ञापनी फरेब का पर्दाफाश * आरतीः मानव जीवन को दिव्य बनाने की वैज्ञानिक परम्परा
* आरती को कैसे व कितनी बार घुमायें ? * बालक ध्रुव * नवरात्रि में गरबा
* नवरात्रि में सारस्वत्य मंत्र अनुष्ठान से चमत्कारिक लाभ
* सारस्वत्य मंत्र का चमत्कारः वैज्ञानिक भी चकित * विजयादशमीः दसों इन्द्रियों पर विजय
* राजकुमारी मल्लिका * छत्रसाल की वीरता
* अधिकांश टुथपेस्टों में पाया जाने वाला फ्लोराइड कैंसर को आमंत्रण देता है....
* पेप्सोडेंट के प्रयोग से सड़ने लगे हैं दाँत * पर्वों का पुंजः दीपावली * दीपावली का पर्वपंचक
* भारत का कुत्ता भी भक्ति की प्रेरणा देता है * त्राटक साधना * बिन्दु त्राटक * मूर्ति त्राटक
* दीपज्योति त्राटक * विद्यार्थियों के लिए विशेष * गुटखा-पानमसाला खाने वाले सावधान !
* गुटखा खाने का शौक कितना महँगा पड़ा ! * मौत का दूसरा नामः गुटखा-पान मसाला
* महामूर्ख कौन ? * फैशन से बीमारी तक.......* सेवा की महिमा
* विविध रोगों में आभूषण-चिकित्सा * स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ऊँची एड़ी के सेंडिल
* नानक ! दुःखिया सब संसार..... * चाय-काफीः एक मीठा जहर * आयुर्वैदिक चाय
* दीक्षाः जीवन का आवश्यक अंग
* असाध्य बीमारियों में औषध के साथ प्रार्थना और ध्यान भी अत्यन्त आवश्यक है
* तेजस्वी जीवन की कुंजीः त्रिकाल-संध्या * त्रिकाल संध्या से लाभः
* मैदे से बनी डबल रोटी (ब्रेड) खाने वाले सावधान ! * दंत सुरक्षा
* टूथपेस्ट करने वालों के लिए दंतरोग विशेषज्ञों की विशेष सलाह * अन्न का प्रभाव
* भैंस के खून से भी बनते हैं टॉनिक * फास्ट फूड खाने से रोग भी फास्ट (जल्दी) होते हैं
* प्रतिभावान बालक रमण * जागिये – प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में * दृढ़ संकल्प सफलता का प्रथम सोपान
* सुरक्षाचक्र का चक्रव्यूह * त्यागो लापरवाही को......* क्या है तुम्हारा लक्ष्य ?
* श्री अरविन्द की निश्चिन्तता * पूज्य बापू जी की पावन प्रेरणा
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