
दिव्य शिशु संस्कार(Divya Shishu Sanskar)
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किसी भी देश का भविष्य वहाँ की संस्कारी बाल पीढ़ी पर निर्भर करता है। वास्तव में खनिज, वन, पर्वत, नदी आदि देश की सच्ची सम्पत्ति नहीं हैं अपितु ऋषि-परम्परा के पवित्र संस्कारों से सम्पन्न तेजस्वी संतानों ही देश की सच्ची सम्पत्ति हैं और वर्तमान समय में देश को इस सम्पत्ति की अत्यन्त आवश्यकता है। शिशु में संस्कारों की नीँव माँ के गर्भ में ही पड़ जाती है। इसलिए उत्तम संतानप्राप्ति के इच्छुक दम्पत्तियों को चाहिए कि वे ब्रह्मज्ञानी संतों के दर्शन-सत्संग का लाभ लेकर स्वयं सुविचारी, सदाचारी एवं पवित्र बनें। साथ ही उत्तम संतानप्राप्ति के नियमों को जान लें और शास्त्रोक्त रीति से गर्भधान कर परिवार, देश व मानवता का मंगल करने वाली महान आत्माओं की आवश्यकता की पूर्ति करें।
गर्भस्थ शिशु को सुसंस्कारी बनाने तथा उसके उचित पालन-पोषण की जानकारी देने हेतु पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा प्रेरित 'महिला उत्थान मंडल' द्वारा यह पुस्तिका लोकहितार्थ प्रकाशित की गयी है। इसके अलावा विशेष रूप से मार्गदर्शन देने के लिए 'महिला उत्थान मंडल' द्वारा समय-समय पर विशेष बैठकों तथा 'दिव्य शिशु संस्कार' शिविरों एवं सम्मेलनों का भी आयोजन किया जाता है।
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महिला उत्थान ट्रस्ट
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