Health Building Set
Price Rs.555/-
1. केशर च्यवनप्राश (Special Kesar Chywanprash)
M.R.P: Rs. 225.00
सुवर्ण, चाँदी, लोह व ताम्र सिद्ध जल में उबले हुए वीर्यवान आँवलों में 56 बहु मूल्य जड़ी-बूटियों के साथ हिमालय से लायी गयी दिव्य औषधि वज्रबला तथा चाँदी, लोह, बंग व अभ्रक भष्म एवं शुद्ध केसर मिलाकर गाय के घी में आश्रम के पवित्र वातावरण में वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ इस रसायन को बनाया गया है । नैसर्गिक जीवन तत्वों व शक्तिशाली खनिज द्रव्यों से भरपूर होने के कारण यह शरीर की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति व कोशिकाओं का नवनिर्माण करता है । इस च्यवनप्राश का सेवन स्वस्थ या रुग्ण, युवक, वृद्ध, दुर्बल, श्वास, राजयक्ष्मा, ह्रदयरोग सेपीड़ित सभी लोग सब ॠतुओं में कर सकते है । आश्रम के संतों व आयुर्वेदाचार्यो द्वारा परीक्षणों के बाद इस अद्वितीय व अमूल्य च्यवनप्राश का निर्माण किया गया है । बुद्धि, तेज, वीर्य, उत्साह, प्रसन्नता को बढाकर, नवचेतना प्रदान करता है । बुढ़ापा दूर होकर चिरयौवन, दीर्घायु की प्राप्ति व रोगों से सुरक्षा होती है । यह ह्रदय, यकृत व फेफडों को बल प्रदान कर शरीर को हष्ट-पुष्ट व शक्तिशाली बनाता है ।
2. शायर खजूर (Saayer Dates) - Vaccum Packing
Net.wt: 800gms
M.R.P: Rs.100.00
पकी हुई खजूर मधुर, पौष्टिक, वीर्यवर्धक, पचने में भारी होती है। यह वातयुक्त पित्त के विकारों में लाभदायक है। खारिक के गुणधर्म खजूर जैसे ही हैं।
आधुनिक मतानुसार 100 ग्राम खजूर में 10.6 मि.ग्रा. लौह तत्त्व, 600 यूनिट कैरोटीन, 800 यूनिट कैलोरी के अलावा विटामिन बी-1, फास्फोरस एवं कैल्शियम भी पाया जाता है।
मात्राः एक दिन में 5 से 10 खजूर ही खानी चाहिए।
सावधानीः खजूर पचने में भारी और अधिक खाने पर गर्म पड़ती है। अतः उसका उपयोग दूध-घी अथवा मक्खन के साथ करना चाहिए।
पित्त के रोगियों को खजूर घी में सेंककर खानी चाहिए। शरीर में अधिक गर्मी होने पर वैद्य की सलाह के अनुसार ही खजूर खावें।
अश्वगंधा पाक (Ashwagandha Paak)
M.R.P: Rs. 230.00
3. अच्युताय अश्वगंधा पाक: यह पाक शक्तिवर्धक, वीर्यवर्धक, स्नायु व मांसपेशियों को ताकत देने वाला एवं कद बढ़ाने वाला एक पौष्टिक रसायन है। यह धातु की कमजोरी, शारीरिक-मानसिक कमजोरी आदि के लिए उत्तम औषधि है। इसके सेवन से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है एवं वीर्यदोष दूर होते हैं। धातु की कमजोरी, स्वप्नदोष, पेशाब के साथ धातु जाना आदि विकारों में इसका प्रयोग बहुत ही लाभदायी है। यह राज्यक्ष्मा(क्षयरोग) में भी लाभदायी है। इसके सेवन से नींद भी अच्छी आती है। यह वातशामक तथा रसायन होने के कारण विस्मृति, यादशक्ति की कमी, उन्माद,मानसिक अवसाद (डिप्रेशन) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है। दूध के साथ सेवन करने से शरीर में लाल रक्तकणों की वृद्धि होती है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, शरीर में शक्ति आती है व कांति बढ़ती है। सर्दियों में इसका लाभ अवश्य उठायें।
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