
मन को सीख
मनुष्य का मन ही सुख-दुःख, शांति-अशांति, लाभ-हानि, स्वर्ग-नरक की कल्पना करता है और उसी प्रकार की सृष्टि का सृजन करता है । ‘जिसने मन जीता, उसने जग जीता ।’ मन को जीतने का प्रयास करना यही पुरुषार्थ है । मन को महापुरुषों द्वारा बतायी हुई युक्तियों से ही जीता जा सकता है । मन को जीतने के लिए भगवत्पाद साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज द्वारा बतायी युक्तियों का संकलन है पुस्तक 'मन को सीख' । इसमें है :
* क्यों 24 घंटे रखें मन पर जाग्रत पहरा ?
* मन को कभी फुर्सत क्यों न दें ?
* मन को प्रतिदिन दुःखों का स्मरण कराओ
* मन की अटपटी चाल को समझिये
* मन का नशा कैसे उतारें ?
* कैसे देखें मन को ?
* मन के मायाजाल से ऐसे बचें...
* भोजन के विषय में संतों-महापुरुषों द्वारा बतायी हुईं कुछ ध्यान देने योग्य बातें
* पतित विचारों और पतित कार्यों से बचने के लिए...
* अपने चित्त की समता न खोयें
* यह भी बीत जायेगा
* मंगलमय दृष्टि रखें
* सत्पुरुषों का सान्निध्य क्यों ?
* विवेक क्या है ?
* आप दुःखी क्यों हैं ?
* यह क्या है साधना या मजदूरी ?
* क्या सत्संग का प्रभाव रक्त पर पड़ता है ?
* साष्टांग दंडवत् प्रणाम किसलिए ?
* विवेकसम्पन्न पुरुष की महिमा
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