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मातृ-पितृृ पूजन
विश्वमानव के मांगल्य में रत पूज्य संत श्री आशारामजी बापू का परम हितकारी संदेश
प्रेम तो निर्दोष होता है । प्रेम तो परमात्मा से, अल्लाह से मिलाता है । अल्लाह कहो, गॉड कहो, भगवान कहो, परम सत्ता का ही नाम है ʹप्रेमʹ । परम सुख, परम चेतना का नाम है ʹप्रेमʹ । वही राम, रहीम और गॉड का असली स्वरूप है, इसी में मानवता का मंगल है । सच्चे प्रेमस्वभाव से केवल भारतवासियों का ही नहीं, विश्वमानव का कल्याण होगा । लेकिन शादी विवाह के पहले, पढ़ाई के समय ही एक-दूसरे को फूल देकर युवक-युवतियाँ अपनी तबाही कर रहे हैं तो मुझे उनकी तबाही देखकर पीड़ा होती है । मानव-समाज को कहीं घाटा होता है तो मेरा दिल द्रवित हो जाता है । नारायण-नारायण.....
मेरे हृदय की व्यथा यह थी कि लोग बोलते हैं, ʹविकास का युग, विकास का युगʹ लेकिन यह आज के युवक-युवतियों के लिए विनाश का युग है, ऐसा युग भूतकाल में कभी नहीं आया । न शुद्ध दूध मिलता है, न शुद्ध घी मिलता है, न शुद्ध हवाएँ मिलती हैं, न शुद्ध संस्कार मिलते हैं । थोड़ा कुछ यौवन आया नहीं कि कुसंस्कारों के द्वारा उऩकी कमर टूट जाती है । मैं किसी का विरोध नहीं करना चाहता हूँ लेकिन मानवता का विनाश देखकर मेरा हृदय व्यथित होता है । यह बाहर की आँधी आयी है । हम विरोध करने के बजाये इसका थोड़ी दिशा दे देते हैं ताकि यहाँ कि दिशा से उन लोगों का भी मंगल हो । प्रेम दिवस मनायें लेकिन ʹमातृदेवो भव। पितृदेवो भव।ʹ करके ।
विश्वमानव को एक नयी दिशा.... मातृ-पितृ पूजन दिवस
सभी लोग अपने माता पिता का सत्कार करें । भारत में और विश्व में ʹमातृ-पितृ पूजन दिवसʹ का कार्यक्रम मैं व्यापक करना चाहता हूँ । इस दिन बच्चे-बच्चियाँ माता-पिता का आदर-पूजन करें और प्रणाम करें तथा माता-पिता अपनी संतानों को प्रेम करें । इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा ।
सम्पर्कः महिला उत्थान ट्रस्ट
संत श्री आशारामजी आश्रम, साबरमती, अहमदाबाद-5
E-mail: ashramindia@ashram.org website: www.ashram.org
दूरभाषः 079-39877749-50-51-88, 27505010-11
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अनुक्रम
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मातृ-पितृ-गुरू भक्ति
माता-पिता-गुरु की सेवा का महत्त्व
शास्त्र-वचनामृत
संत-वचनामृत
माँ-बाप को भूलना नहीं
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