
प्रसाद
जीवन में आप जो कुछ करते हैं उसका प्रभाव आपके अंतःकरण पर पड़ता है । कोई भी कर्म करते समय अपने जीवन पर होनेवाले उसके परिणाम को सूक्ष्मता से निहारना चाहिए । ऐसी सावधानी से ही हम अपने मन व इन्द्रियों को नियंत्रित कर बुद्धि को सत्यस्वरूप आत्मा-परमात्मा में प्रतिष्ठित कर सकेंगे । आत्मनिरीक्षण के लिए कसौटीरूप दस बातें ‘प्रसाद’ पुस्तक में वर्णित हैं, जिनके द्वारा अपने जीवन को परिशुद्ध करके अपने-आप को महान बनाया जा सकता है ।
इस पुस्तक में है :
* साहित्य कौन-सा पढ़ें कि हर क्षेत्र में बनें उन्नत ?
* खान-पान कैसा हो कि मजबूत बने बुद्धि व मन ?
* संग कैसा हो कि खिल उठे जीवन ?
* कहाँ रहें कि मिट जायें द्वंद्व ?
* समय कैसा बितायें जिससे व्यर्थ न हो जीवन ?
* किसकी लें शरणागति एवं मार्गदर्शन ?
* किसका करें ध्यान-चिंतन ?
* कैसा करें अभ्यास जिससे सुधरे दैनिक जीवन ?
* कैसे हों संस्कार कि मिले दिव्य आनंद ?
* गुरु-प्रसाद की सुरक्षा का कैसे रखें विशेष ध्यान ?
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