
अमृत के घूँट
राजा भोज की सभा में चर्चा हुई कि अमृत कहाँ रहता है ? किसीने कहा, ‘स्वर्ग में’, किसीने कहा, ‘सागर में’, किसीने कहा, ‘सुंदरी के होंठों में, तो किसीने कहा मणिधरों के पास । कवि कालिदास बोले : ‘कंठे सुधा वसति वै भगवज्जनानाम् ।’ जो भगवद्-जन हैं, जिनको भगवद्-तत्त्व का बोध हुआ है, साक्षात्कार हुआ है, ऐसे महापुरुषों के कंठ में ही अमृत है । उस अमृत का पान करने से मनुष्य अपने अमर-पद को प्राप्त कर लेता है । आत्मा अजर-अमर है, उस आत्मतत्त्व का जिसे साक्षात्कार हो जाता है वह आत्मा की तरह ही अजर-अमर हो जाते हैं । आत्मा का साक्षात्कार किये हुए महापुरुषों के कृपाप्रसाद से ही आत्मसाक्षात्कार सम्भव है ।
भगवद्-तत्त्व का साक्षात्कार किये हुए पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के पावन सत्संग से अमृतबिंदुओं का संकलन ‘अमृत के घूँट’ सत्साहित्य में किया गया है । इसके प्रत्येक पृष्ठ पर एक अमृत-वचन है, जिसके मनन-चिंतन से जीवन में अमरत्व का संचार होगा । साथ ही शरीर स्वस्थ रहे, मन प्रसन्न रहे इसकी सरल युक्तियाँ भी दी गयी हैं, ऋतु-अनुसार क्या खायें, क्या नहीं खायें, कब खायें आदि जानकारी भी इस पुस्तक में है ।
इसमें है :
* ...तो आप महान बन सकोगे
* यह बुद्धिमानों का काम है
* ताकि मन भगवान की पूजा में लग सके
* बहुत सारी विपदाओं से, पतन के प्रसंगों से बचने की कुंजी
* भक्ति के सुख को पाने का सूत्र
* आध्यात्मिक उन्नति की युक्ति
* दुःख कैसे मिटे ?
* तो आनंद-ही-आनंद है, माधुर्य-ही-माधुर्य है...
* आप तो गुरुमुख बनिये, शिष्य बनिये
* पवित्र एवं निश्चयी बुद्धि से मुक्ति भी सुगमता से प्राप्त होती है
* संसार को पालो और भगवान को पा लो ।
* दोहों में स्वास्थ्य की सुंदर युक्तियाँ
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