
ऋषि प्रसाद
पूज्य बापू के आशीर्वचन
इस छोटी सी पुस्तिका में वे रत्न भरे हुए हैं जो जीवन को चिन्मय बना दें । हिटलर और सिकंदर की उपलब्धियों और यश उनके आगे अत्यंत छोटे दिखने लगे ।
तुम अपने सारे विश्व में व्याप्त अनुभव करो । इन विचार रत्नों को बार-बार विचारो । एकांत में शांत वातावरण में इन वचनों को दोहराओ । और....अपना खोया हुआ खजाना अवश्य अवश्य प्राप्त कर सकोगे इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ।
करो हिम्मत......! मारो छलांग.....! कब तक गिड़गिड़ाते रहोगे ? हे भोले महेश ! तुम अपनी महिमा में जागो। कोई कठिन बात नहीं है। अपने साम्राज्य को संभालो । फिर तुम्हें संसार और संसार की उपलब्धियाँ, स्वर्ग और स्वर्ग के सुख तुम्हारे कृपाकांक्षी महसूस होंगे । तुम इतने महान हो। तुम्हारा यश वेद भी नहीं गा सकते । कब तक इस देह की कैद में पड़े रहोगे ?
ॐ.....! ॐ.....!! ॐ.......!!!
उठो..... जागो......! बार-बार इन वचनों में अपने चित्त को सराबोर कर दो ।
।। ॐ शांतिः ।।
अमृत-बिन्दु
* वह मानव परम सदभागी है
* सदगुरू सेवाः परम रसायन
* पुष्प चयन
* आत्मनिष्ठा
* सत्संग
* गुरु....
* पुरुषार्थ
* अहं....
* श्रद्धा-भक्ति-समर्पण
* निर्भयता
* विवेक-आत्मविचार
* निष्काम कर्म उपासना-आचारशुद्धि
* समता....
* मृत्यु
* मन.....
* सुख-दुःख-आनन्द शान्ति.....
* जीवन
* धर्म....
* ईश्वर....
* अज्ञान....
* आत्मकृपा...
* विद्या....
* ब्रह्मचर्य....
* ज्ञानी....
* आत्मयोग
ॐ ॐ ॐ
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