
सहज साधना
बात वही असर करती है जो दिल से निकलती है । रटी रटायी बातों का हमारे दिलों पर वह प्रभाव नहीं पड़ता जो प्रभाव आत्मारामी सत्पुरूषों की अनुभवमूलक वाणी का पड़ता है । वे महापुरूष अपनी अमृतवाणी से मन्द और म्लान जगत को तेजस्वी और कांतिमान बनाते हैं..... मन-बुद्धि के बन्धन में फँसे हुए साधकों मन-बुद्धि से पार परमेश्वर तत्त्व में जगाते हैं । उनके करूणामय हृदय से निःसृत वाणी का प्रभाव अनूठा होता है।
ऐसे ही एक सत्पुरूष पूज्यपाद संत श्री आसारामजी महाराज की हृदय वाणी का स्रोत श्रोताजनों को, भक्तों को और आध्यात्मिक राह के पथिकों को, साधकों को परिप्लावित करके पावन बनाता है । वे कहते हैं-
".....ईश्वरीय विधान को न जानने से ही सारे दुःख दर्द आते हैं । ईश्वरीय विधान हमारी उन्नति चाहता है। किसी भी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, पदार्थ में हम आबद्ध हुए तो ईश्वरीय विधान हमें वहाँ से ऊपर उठाने के लिए विघ्न बाधाएँ और दण्ड देकर भी सावधान कर देता है । जो प्रेम परमात्मा से करना चाहिए वह प्रेम अगर किसी व्यक्ति, वस्तु, पद से किया तो ईश्वरीय विधान हमें वहाँ से बलात् घसीट लेता है । अतः ईश्वरीय विधान को समझकर सहज मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर रहो ।"
"......श्रद्धालु पुरूष ही परम तत्त्व के ज्ञान को उपलब्ध होता है ।"
".....लोग पूछते हैं कि आपके मत में सबसे बड़ा धर्म कौन-सा है ? भाई ! मत मति के होते हैं । सारी मतियाँ जहाँ से प्रकाश पाती हैं वह परमात्मा सबसे बड़ा है । वही वास्तव में सत्य है ।"
"..... जिन्होंने अपने कानों से परमात्मा की कथा नहीं सुनी उनके कान साँप के बिल के समान हैं । जिन्होंने अपने मुख से परमात्मा का नाम नहीं लिया उनकी जिह्वा दादुर (मेढक) की जिह्वा के समान है।"
"......ईश्वर की सृष्टि में सब मंगलमय विधान है । पुरूष अगर मोह करके पुत्र-परिवार को अपना मानता हुआ उलझता है तो उसकी बुद्धिमान स्त्री स्वयं मोहरहित होकर पति के मोह को भी युक्ति से निकाल सकती है। सिंधवर्की खूबचन्द की घटना से यह ज्ञात होता है ।"
"......सच्चा साधक, सत्शिष्य प्रतिष्ठा या सुविधा नहीं चाहता । वह तो सेवा के लिए ही सेवा करता है । सेवा से जो सुख और प्रतिष्ठा स्थायी बनती है वह सुख और प्रतिष्ठा चाहनेवालों के भाग्य में कहाँ से ? वह तो चाहरहित शिष्य को ही प्राप्त होती है ।"
अंतरात्मा में विश्रांति पाये हुए स्थितप्रज्ञ महापुरूष अपने साधकों को अपने अंतर्मन में आत्मज्ञान का मनन करने का मार्गदर्शन देते हैं । ऐसी अनूठी दिव्य वाणी का संग्रह आपके करकमलों में प्रस्तुत करते हुए हम आनन्दित हैं ।
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