
संस्कार सिंचन
दो शब्द.....
बालक ही देश का असली धन है । वे भारत के भविष्य, विश्व के गौरव और अपने माता-पिता की शान हैं । वे देश के भावी नागरिक हैं और आगे चलकर उन्हीं के कंधों पर देश की स्वतंत्रता एवं संस्कृति की रक्षा तथा उनकी परिपुष्टि का भार पड़ने वाला है । बाल्यकाल के संस्कार एवं चरित्रनिर्माण ही मनुष्य के भावी जीवन की आधारशिला है ।
हमारे देश के विद्यार्थियों में सुसंस्कार सिंचन हेतु, उनके विवेक को जागृत करने हेतु, उनके सुंदर भविष्य के निर्माण हेतु, उनके जीवन को स्वस्थ व सुखी बनाने हेतु श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ संत श्री आसाराम जी बापू के पावन प्रेरक मार्गदर्शन में देश-विदेश के विभिन्न भागों में 'बाल संस्कार केन्द्र' चलाये जा रहे हैं ।
इन केन्द्रों में बालकों को सुसंस्कारित करने हेतु विभिन्न प्रयोग सिखाये जाते हैं । जिससे उनकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है और वे अपने कार्य में पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त करने में सक्षम बन जाते हैं । यह भी कहा जा सकता है कि बच्चों के जीवन में सर्वांगीण विकास की कुंजियाँ प्रदान करता है पूज्यश्री की कृपा-प्रसादी'बाल संस्कार केन्द्र' ।
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