
श्री नारायण स्तुति
निवेदन
'श्रीमद् भागवत' के नवम स्कन्ध में भगवान स्वयं कहते हैं-
साध्वो हृदयं मह्यं साधूनां हृदयं त्वहम् ।
मदन्यत् ते न जानन्ति नाहं तेभ्यो मनागपि ।।
अर्थात् मेरे प्रेमी भक्त तो मेरा हृदय हैं और उन प्रेमी भक्तों का हृदय स्वयं मैं हूँ । वे मेरे अतिरिक्त और कुछ नहीं जानते तथा मैं उनके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं जानता ।
पुराणशिरोमणि 'श्रीमद् भागवत' ब्रह्माजी, देवताओं, शुकदेवजी, शिवजी, सनकादि मुनियों, देवर्षि नारद, वृत्रासुर, दैत्यराज बलि, भीष्म पितामह, माता कुन्ती, भक्त प्रह्लाद, ध्रुव, अक्रूर आदि कई प्रभु प्रेमी भक्तों द्वारा श्री नारायण भगवान की की गयी स्तुतियों का महान भण्डार है । प्रस्तुत पुस्तक ध्रुव, प्रह्लाद, अक्रूर आदि कुछ उत्तम परम भागवतों की स्तुतियों का संकलन है, जिसके श्रवण, पठन एवं मनन से आप-हम हमारा हृदय पावन करें, विषय रस का नहीं अपितु भगवद रस का आस्वादन करे, भगवान के दिव्य गुणों को अपने जीवन में उतार कर अपना जीवन उन्नत बनायें । भगवान की अनुपम महिमा और परम अनुग्रह का ध्यान करके इन भक्तों को जो आश्वासन मिला है, सच्चा माधुर्य एवं सच्ची शांति मिली है, जीवन का सच्चा मार्ग मिला है, वह आपको भी मिले इसी सत्प्रार्थना के साथ इस पुस्तक को करकमलों में प्रदान करते हुए समिति आनंद का अनुभव करती है ।
हे साधक बंधुओ ! इस प्रकाशन के विषय में आपसे प्रतिक्रियाएँ स्वीकार्य हैं ।
महिला उत्थान ट्रस्ट, अहमदाबाद
12
45
15
13
4
15
11
7
6
4
2
10
4
3
7
4
7
5
4
6
All major credit, debit cards & Net Banking options available.
Order any product through Android or iphone app
100% MoneyBack Guarantee.
Copyright © Ashram eStore. All rights reserved.