
व्यास पूर्णिमा
इस पुस्तक में है-
साधना के लिए उत्साहित करने वाले और संसार की नश्वरता से बचाने के सचोट प्रसंग। भिन्न-भिन्न भक्तों, योगियों, साधकों की कथा द्वारा भक्ति, योग व साधना की पुष्टि और सब वृत्तियों से परे परमात्मा का साक्षात्कार.....विवेक, वैराग्य, भक्ति, उत्साह और परम सत्य का साक्षात्कार....
व्यास पूर्णिमा के पावन पर्व पर साधकों, भक्तों और मोक्षमार्ग के पथिकों के जीवन में प्रभु-प्राप्ति का उत्साह एवं साधन-भजन-नियम का संकेत मिले, ज्ञान और वैराग्य की वृद्धि हो इस हेतु पूज्यपाद स्वामी जी ने प्रेरणा पीयूष परोसा है । 'हमी बोलतो वेद बोलते' – संत तुकाराम जी की यह उक्ति साकार करते हुए मानो वेदवाणी का अमृत बहाया है । इन आत्मारामी महापुरूष के व्यवहार में, निष्ठा में और वचनों में हम उस वेदवाणी का मूर्त स्वरूप पाते हैं ।
ये अनुभवयुक्त वचन जिज्ञासु श्रोताओं को अवश्य उत्साहित करेंगे, पथ-प्रदर्शन करेंगे, जीवन की उलझी हुई तमाम गुत्थियों को सुलझाने में सहयोग देंगे ।
प्यारे साधक गण ! बार-बार इस पावन प्रसाद का पठन और मनन करके अवश्य लाभान्वित हो, यही विनम्र प्रार्थना....
महिला उत्थान ट्रस्ट, अहमदाबाद
ॐ ॐ ॐ
अनुक्रम
* निवेदन
* व्यास पूर्णिमा
* राही रूक नहीं सकते
* साध्य को पाये बिना.......?
* प्रपत्तियोग
* ऐ राही ! बचके.......
* आत्यंतिक दुःखनिवृत्ति
* कामना की निवृत्ति
* निराकार आधार हमारे................
ॐ ॐ ॐ
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