अलख की ओर
लोग परमात्मा को ढूँढ़ते हैं और परमात्मा इन आँखों से कहीं नजर नहीं आता क्योंकि वह अलख है । उस अलख को कैसे जानें ? कैसे देखें ? यदि उस अलख को लखना हो तो जिनमें वह अलख पूर्ण वैभव के साथ प्रकट हुआ है ऐसे संत-महापुरुषों की अनुभव-वाणी को आधार मानकर चलने से उस तक पहुँचा जा सकता है । प्रस्तुत पुस्तक ‘अलख की ओर’ में सम्प्रेक्षण-शक्ति के प्रदाता, भक्ति, ज्ञान और योग के अनुभवनिष्ठ ज्ञाता पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के अनुभवयुक्त वचनों का संकलन किया गया है । जीवन की गुत्थियों को खोलकर उस अलख पुरुष का आनंद प्राप्त करने में सहायक इस सत्साहित्य में आप जानेंगे :
* अनंत की आनंदमय यात्रा की सुंदर रीति – आत्मानुसंधान
* सुख-दुःख का सदुपयोग करने की कला
* हर हाल में खुश रहने की युक्तियाँ
* अद्भुत सामर्थ्य की चाबी और उसे पाने का उपाय क्या है ?
* मनोराज और समाधि में क्या फर्क है ?
* ध्यान किसका करें ?
* निरंतर उपासना कैसे हो सकती है ?
* जानें अपने अचेतन मन की अवस्था
* कौन-सी उपासना उत्तम – सगुण या निर्गुण ?
* आंतर-शुद्धि हेतु क्या करें ?
* आत्मनिरीक्षण जरूरी है
* जैसा संग वैसा रंग, मिल जायें सद्गुरु तो हो मोहनिशा का भंग
* चित्त अशुद्ध क्यों होता है ? कैसे करें चित्तशुद्धि ?
* माता लक्ष्मी धरा पर आयीं, सबके घर सुवर्ण लुटायीं
* आत्म-खजाना पाने के लिए आवश्यक है आत्म-संयम
* मनोनाश क्या है ?
* वासनाक्षय कैसे हो ?
* सबसे श्रेष्ठ कर्म क्या है ?
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Alakh Ki Aur : Hindi [अलख की ओर]
₹7.00
प्रस्तुत पुस्तक ‘अलख की ओर’ में सम्प्रेक्षण-शक्ति के प्रदाता, भक्ति, ज्ञान और योग के अनुभवनिष्ठ ज्ञाता पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के अनुभवयुक्त वचनों का संकलन किया गया है । जीवन की गुत्थियों को खोलकर उस अलख पुरुष का आनंद प्राप्त करने में सहायक ।
Additional information
Net Weight (after packaging) | 60 g |
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