Ingredients – सामग्री
- तिल तेल
- अपामार्ग क्षार
- अपामार्ग एक बहुत ही गुणी औषधि है जिसका बरसों से आयुर्वेदिक दवाओं के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है ।
- आप दांतों के रोग, घाव सुखाने, पाचनतंत्र विकार, खांसी, मूत्र रोग, चर्म रोग सहित अन्य कई बीमारियों में अपामार्ग का लाभ ले सकते हैं ।
- अपामार्ग क्षार चिरचिटा / लटजीरा अर्थात अपामार्ग औषधीय पौधे से बनने वाला क्षार है ।
- क्षार कल्पना की दवाएं त्वचा, मांस आदि का क्षरण (काटना) करती हैं ।
- आचार्य चक्रपाणी के अनुसार जो नीचे की ओर गमन करे उसे क्षार कहते हैं । यह दूषित मांस आदि को काट – काट कर अधोमार्ग से शरीर से बाहर निकालता है । यह क्षार कल्पना की दवाओं का गुण होता है ।
- अपामार्ग क्षार तिक्त (कड़वा), ऊष्ण (गरम), कटु (चरपरा), कफघ्न (कफ नाशक) तथा कृमि, कास (खांसी), श्वास, शूल, गुल्म आदि का नाश करनेवाला है ।
- इसके प्रयोग से कास और श्वास में परिश्रम से निकलनेवाला कफ शीघ्र पतला होकर निकल जाता है तथा इसके सेवन से श्वास-कास नलिकाएं प्रकुपित और दूषित वात-कफ से मुक्त होती है तथा श्वास और कास के विकार नष्ट हो जाते हैं ।
- इसी प्रकार अपामार्ग क्षार का सेवन करने से उदर (पेट) में एकत्रित आम, वात और कफ या तो पक्व होकर बाहर निकल जाते हैं अथवा कोष्ठ-शुद्धि क्रिया में मल के साथ साथ ये भी बाहर निकल जाते हैं ।
Best Oil for Nose Benefits in Hindi [Best Oil for Nose ke Fayde]
- यह नाक, कान और सीएनएस (शिरोविरेचन) से कफ और अवांछित अपशिष्ट पदार्थ को हटाता है ।
- योगी आयु तेल कान विकारों के लिए प्रयोग किया जाता है ।
- यह बहरापन जैसी समस्याओं में काफी कारगर साबित होता है ।
- कान में आवाज़ जैसी बिमारी में असरदार है ।
- कान बहना के उपचार के लिये उपयोग किया जाता है ।
- नकसीर में काफी कारगर है ।
- योनि रोग के उपचार के लिये उपयोग किया जाता है ।
How To Use Best Oil for Nose – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- प्रत्येक कान में 2 से 4 बूंद दिन में दो या तीन बार डालें । या जैसा चिकित्सक द्वारा निर्देशित है ।
- नस्य के लिए भी २-३ बूंद नाक में डालें ।
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