Ingredients – सामग्री
अंगूर को जब विशेषरूप से सुखाया जाता है तब उसे मुनक्का कहते हैं।
Kishmish Benefits in Hindi [Kishmish ke Fayde]
- अंगूर के लगभग सभी गुण मुनक्के में होते हैं। यह दो प्रकार का होता है – लाल और काला।
- मुनक्का पचने में भारी, मधुर, शीत, वीर्यवर्धक, तृप्तिकारक, वायु को गुदाद्वार से सरलता से निकालनेवाला, कफपित्तहारी, हृदय के लिए हितकारक, श्रमनाशक, रक्तवर्धक, रक्तशोधक, मलशोधक तथा रक्तपित्त व रक्त-प्रदर में भी लाभदायी है।
- किशमिश भी सूखे हुए अंगूर का दूसरा रूप है। इसमें भी अंगूर के सारे गुण विद्यमान होते हैं।
- दूध के लगभग सभी तत्त्व किशमिश में पाये जाते हैं। दूध के अभाव में इसका उपयोग किया जा सकता है। किशमिश दूध की अपेक्षा शीघ्र पचती है।
- मुनक्के के नित्य सेवन से थोड़े ही दिनों में रस, रक्त, शुक्र आदि धातुओं तथा ओज की वृद्धि होती है। वृद्धावस्था में किशमिश या मुनक्के का प्रयोग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है बल्कि आयु को बढ़ाने में भी सहायक होता है।
- किशमिश और मुनक्के की शर्करा शरीर में अतिशीघ्र पचकर आत्मसात् हो जाती है, जिससे शीघ्र ही शक्ति व स्फूर्ति प्राप्त होती है।
- दौर्बल्य : अधिक परिश्रम, कुपोषण, वृद्धावस्था या किसी बड़ी बीमारी के बाद शरीर जब क्षीण व दुर्बल हो जाता है, तब शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए किशमिश बहुत ही लाभदायी है। १०-१२ ग्राम किशमिश २०० मि.ली. पानी में भिगोकर रखें वं दो घंटे बाद खा लें।
- रक्ताल्पता : मुनक्के में लौह तथा सभी जीवनसत्त्व (विटामिन्स) प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। १०-१५ ग्राम काला मुनक्का एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। इसमें थोड़ा-सा नींबू का रस मिलायें। ४-५ घंटे बाद मुनक्का चबा-चबाकर खायें, इससे रक्ताल्पता मिटती है।
- अम्लपित्त : किशमिश मधुर, स्निग्ध, शीतल व पित्तशामक है। इसे पानी में भिगोकर बनाया गया शरबत सुबह-शाम लेने से पित्तशमन, वायुअनुलोमन व मल-निस्सारण होता है, जिससे अम्लपित्त में शीघ्र ही राहत मिलती है। रक्तपित्त, दाह व जीर्णज्वर में भी यह प्रयोग लाभदायी है। इसके सेवन के दिनों में आहार में पाचनशक्ति के अनुसार गाय के दूध तथा घी का उपयोग करें।
- कब्ज : किशमिश में उपस्थित मैलिक एसिड मल-निस्सारण का कार्य करता है। २५ से ३० ग्राम किशमिश व १ अंजीर रात को २५० मि.ली. पानी में भिगोकर रखें। सुबह खूब मसलकर छान लें। फिर उसमें आधा चम्मच नींबू का रस व २ चम्मच शहद मिलाकर धीरे-धीरे पियें। कुछ ही दिनों में कब्ज दूर हो जायेगी।
- शराब के नशे से छुटकारा : शराब पीने की इच्छा हो तब शराब की जगह १० से १२ ग्राम किशमिश चबा-चबाकर खाते रहें या किशमिश का शरबत पियें। शराब पीने से ज्ञानतंतु सुस्त हो जाते हैं परंतु किशमिश के सेवन से उन्हें शीघ्र ही पोषण .मिलने से मनुष्यं उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव करने लगता है। यह प्रयोग प्रयत्नपूर्वक करते रहने से कुछ ही दिनों में शराब छूट जायेगी।
- आवश्यक निर्देश : किशमिश, मुनक्का व अंजीर को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग करें, जिससे धूल-मिट्टी, कीड़ें, जंतुनाशक दवाई का प्रभाव आदि निकल जायें।
How To Use Kishmish – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- किशमिश व मुनक्का को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग करें, जिससे धूल-मिट्टी, कीड़ें, जंतुनाशक दवाई का प्रभाव आदि निकल जायें।
- १०-१५ दाने ३-४ बार अच्छी तरह धो के भिगो के खायें।
Precaution – सावधानी
(२) किशमिश : १०-१५ दाने ३-४ बार अच्छी तरह धो के भिगो के खायें।
मुनक्का एवं किशमिश
किशमिश भी सूखे हुए अंगूर का दूसरा रूप है। इसमें भी अंगूर के सारे गुण विद्यमान होते हैं। दूध के लगभग सभी तत्त्व किशमिश में पाये जाते हैं। दूध के अभाव में इसका उपयोग किया जा सकता है। किशमिश दूध की अपेक्षा शीघ्र पचती है। मुनक्के के नित्य सेवन से थोड़े ही दिनों में रस, रक्त, शुक्र आदि धातुओं तथा ओज की वृद्धि होती है। वृद्धावस्था में किशमिश या मुनक्के का प्रयोग न केवल स्वास्थ्य की रक्षा करता है बल्कि आयु को बढ़ाने में भी सहायक होता है। किशमिश और मुनक्के की शर्करा शरीर में अतिशीघ्र पचकर आत्मसात् हो जाती है, जिससे शीघ्र ही शक्ति व स्फूर्ति प्राप्त होती है।
किशमिश एवं मुनक्के के कुछ स्वास्थ्य-प्रदायक प्रयोग
दौर्बल्य : अधिक परिश्रम, कुपोषण, वृद्धावस्था या किसी बड़ी बीमारी के बाद शरीर जब क्षीण व दुर्बल हो जाता है, तब शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए किशमिश बहुत ही लाभदायी है। १०-१२ ग्राम किशमिश २०० मि.ली. पानी में भिगोकर रखें वं दो घंटे बाद खा लें।
रक्ताल्पता : मुनक्के में लौह तथा सभी जीवनसत्त्व (विटामिन्स) प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। १०-१५ ग्राम काला मुनक्का एक कटोरी पानी में भिगोकर रखें। इसमें थोड़ा-सा नींबू का रस मिलायें। ४-५ घंटे बाद मुनक्का चबा-चबाकर खायें, इससे रक्ताल्पता मिटती है।
अम्लपित्त : किशमिश मधुर, स्निग्ध, शीतल व पित्तशामक है। इसे पानी में भिगोकर बनाया गया शरबत सुबह-शाम लेने से पित्तशमन, वायुअनुलोमन व मल-निस्सारण होता है, जिससे अम्लपित्त में शीघ्र ही राहत मिलती है। रक्तपित्त, दाह व जीर्णज्वर में भी यह प्रयोग लाभदायी है। इसके सेवन के दिनों में आहार में पाचनशक्ति के अनुसार गाय के दूध तथा घी का उपयोग करें।
कब्ज : किशमिश में उपस्थित मैलिक एसिड मल-निस्सारण का कार्य करता है। २५ से ३० ग्राम किशमिश व १ अंजीर रात को २५० मि.ली. पानी में भिगोकर रखें। सुबह खूब मसलकर छान लें। फिर उसमें आधा चम्मच नींबू का रस व २ चम्मच शहद मिलाकर धीरे-धीरे पियें। कुछ ही दिनों में कब्ज दूर हो जायेगी।
शराब के नशे से छुटकारा : शराब पीने की इच्छा हो तब शराब की जगह १० से १२ ग्राम किशमिश चबा-चबाकर खाते रहें या किशमिश का शरबत पियें। शराब पीने से ज्ञानतंतु सुस्त हो जाते हैं परंतु किशमिश के सेवन से उन्हें शीघ्र ही पोषण .मिलने से मनुष्यं उत्साह, शक्ति और प्रसन्नता का अनुभव करने लगता है। यह प्रयोग प्रयत्नपूर्वक करते रहने से कुछ ही दिनों में शराब छूट जायेगी।
आवश्यक निर्देश : किशमिश, मुनक्का व अंजीर को अच्छी तरह से धोने के बाद ही उपयोग करें, जिससे धूल-मिट्टी, कीड़ें, जंतुनाशक दवाई का प्रभाव आदि निकल जायें।
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