Ingredients – सामग्री
- गौमूत्र – 93.7%
- सौंठ – 2.5%
- तुलसी – 2%
- कचनार – 1%
- सौंफ – 0.4%
- जीरा – 0.4%
- गौमूत्र के साथ सौंठ, तुलसी और कचनार इसके फायदों को और बढ़ा देता है ।
Gaumutra Saunthadi Ark Benefits in Hindi [Gaumutra Saunthadi Ark ke Fayde]
- गौमूत्र सौंठादि अर्क, तिल्ली रोग की बीमारी के बढ़ने पर इस्तेमाल होने वाली औषधि है । इसके निर्माण के लिए 50 ग्राम गौमूत्र सौंठादि अर्क में नमक मिलाकर रोजाना प्रयोग से शीघ्र फायदा पहुंचता है ।
- इस बीमारी में प्रभावित जगह पर गौमूत्र सौंठादि अर्क का सेक भी उपयोगी साबित हो सकता है । इसे करने के लिए एक साफ ईंट को थोड़ा गर्म करना होता है और एक साफ कपड़े को गौमूत्र सौंठादि अर्क में भिगो कर ईंट पे लपेट लें इसके बाद गर्म ईंट से प्रभावित जगह पर हल्का-हल्का सेंक करें। इससे प्लीहा घटने लगती है ।
- यदि आप जॉइंट पेन से परेशान हैं, तो भी दर्द वाली जगह पर गौमूत्र सौंठादि अर्क की सिकाई करने से आराम मिलता है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क का प्रभाव थ्रोट कैंसर, फूड पाइप के कैंसर और पेट के कैंसर के लिए बहुत ही कारगर साबित हुआ है । करक्यूमिन की कमी से शरीर में कैंसर रोग विकसित होता है, गौमूत्र सौंठादि अर्क में करक्यूमिन भरपूर मात्रा में होती है और पीने के बाद बहुत जल्दी पचता है जो बहुत प्रभावी होता है।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क एक ब्लड प्यूरीफायर है।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क लिवर की सूजन को कम करने के एक कारगर उपाय है।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क को मोटापा कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- एक गिलास पानी में चार बूंद गौमूत्र सौंठादि अर्क के साथ 1 चम्मच नींबू का रस और 2 चम्मच शहद मिला कर रोजाना पीने से लाभ मिलता है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क सफेद दाग या कुष्ठ रोग के लिए भी एक प्रभावी उपचार माना जाता है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क को जीरा में मिलाकर इसके लेप को शरीर पर लगाना चाहिए, यह खाज-खुजली को ठीक करता है ।
- गौमूत्र सौंठादि त्वचा की बीमारियों जैसे एक्जिमा, सोरायसिस आदि में भी फायदेमंद है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क में एंटी- बैक्टीरियल गुण होता है। गले में खराश के इलाज के लिए एक चम्मच गौमूत्र सौंठादि अर्क को हल्का गर्म करके इसमें एक चम्मच शहद, एक चुटकी हल्दी पाउडर को अच्छी तरह मिलाएं, अब इस मिश्रण से 1-2 मिनट के लिए कुल्ला करें ।
- अगर पेट में गैस की शिकायत है, तो रोज़ सुबह खाली पेट गौमूत्र सौंठादि अर्क के साथ नींबू का रस और नमक मिलाकर पी सकते हैं, ऐसा करने के एक घंटे बाद ही नाश्ता किया जाना चाहिए।
- कब्ज रोगी को गौमूत्र सौंठादि अर्क दिन में थोड़ा-थोड़ा 3 से 4 बार लेना चाहिए।
- संसाधित किया हुआ गौमूत्र सौंठादि अर्क अधिक प्रभावकारी, प्रतिजैविक, रोगाणु रोधक, ज्वरनाशी, कवकरोधी और प्रतिजीवाणु बन जाता है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क एक जैविक टॉनिक के समान है, यह शरीर-प्रणाली में औषधि के समान काम करता है ।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क शरीर में ‘सेल डिवीज़न इन्हिबिटरी एक्टिविटी’ को बढ़ाता है और कैंसर के मरीज़ों के लिए बहुत लाभदायक है।
- गौमूत्र सौंठादि अर्क आयुर्वेदिक औषधि गुर्दे, श्वसन और हृदय सम्बन्धी रोग, संक्रामक रोग और संधिशोथ, इत्यादि कई व्याधियों से मुक्ति दिलाता है ।
◆ गोमूत्र तत्व विश्लेषण :
- देसी गाय के गौमूत्र सौंठादि अर्क में जो मुख्य तत्व हैं उनमें से कुछ का विवरण जानिए :
- यूरिया : यह शक्तिशाली प्रतिजीवाणु कर्मक है।
- यूरिक एसिड : इस में कई शक्तिशाली प्रतिजीवाणु गुण हैं, इस के अतिरिक्त यह कैंसर कर्ता तत्वों का नियंत्रण करने में मदद करते हैं।
- खनिज : खाद्य पदार्थों से व्युत्पद धातु की तुलना गोमूत्र से धातु बड़ी सरलता से पुनः अवशोषित किए जा सकते हैं, संभवतः मूत्र में खाद्य पदार्थों से व्युत्पद अधिक विभिन्न प्रकार की धातुएं उपस्थित हैं।
- गौमूत्र जिसमें अमोनिकल विकार अधिक हों, वह जब त्वचा पर लगाया जाये तो उसे सुन्दर बनाने में अहम भूमिका निभाता है ।
- उरोकिनेज : यह तत्व जमे हुए रक्त को घोल देता है, हृदय विकार में सहायक तत्व है और रक्त संचालन में सुधार करता है ।
- एपिथिल्यम विकास तत्व : यह तत्व क्षतिग्रस्त कोशिकाओं और ऊतक में सुधार लाने में कारगर है और उन्हें पुनर्जीवित करता है ।
- समूह प्रेरित तत्व : यह तत्व कोशिकाओं के विभाजन और उनके गुणन में असरकारक होता है ।
- हार्मोन विकास : यह प्रभावकारी तत्व विप्रभाव भिन्न जैवकृत्य जैसे प्रोटीन उत्पादन में बढ़ावा, उपास्थि विकास, वसा का घटक होना इत्यादि पर काम करता है ।
- एरीथ्रोपोटिन : यह रक्ताणु कोशिकाओं के उत्पादन में बढ़ावा करता है ।
- गोनाडोट्रोपिन : यह तत्व मासिक धर्म के चक्र को सामान्य करने में बढ़ावा और शुक्राणु उत्पादन करता है ।
- काल्लीक्रिन : काल्लीक्रिन को निकलना, बाह्य नसों में फैलाव रक्तचाप में कमी ।
- ट्रिप्सिन निरोधक : यह तत्व माँसपेशियों के अर्बुद की रोकथाम और उसे स्वस्थ करता है ।
➢अलानटोइन : यह घाव और अर्बुद को स्वस्थ करता है ।
➢कर्क रोग विरोधी तत्व : निओप्लासटन विरोधी, एच -11 आयोडोल – एसेटिक अम्ल, डीरेकटिन, 3 मेथोक्सी इत्यादि कर्क रोग के कोशिकाओं के गुणन को प्रभावकारी रूप से रोकता है और उन्हें सामान्य बना देता है ।
➢नाइट्रोजन : यह तत्व मूत्रवर्धक होता है और गुर्दे को स्वाभाविक रूप से उत्तेजित करता है ।
➢सल्फर : यह आंत की गति को बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने का काम करता है
➢अमोनिया : यह शरीर की कोशिकाओं और रक्त को स्वस्थ रखता है ।
➢तांबा : यह अत्याधिक वसा को जमने से रोकता है ।
➢लोहा : यह आरबीसी संख्या को कायम रखता है और ताकत को स्थिर करता है ।
➢फोस्फेट : इस तत्व का लिथोट्रिपटिक कृत्य होता है ।
➢सोडियम : यह रक्त को शुद्ध करता है और अत्याधिक अम्ल के बनने में रोकथाम करता है ।
➢पोटैशियम : यह भूख बढ़ाता है और मांसपेशियों में खिझाव को दूर करता है ।
➢मैंगनीज़ : यह जीवाणु विरोधी होता है और गैस और गैंगरीन में राहत देता है ।
➢कार्बोलिक अम्ल : यह जीवाणु विरोधी होता है ।
➢कैल्शियम : यह रक्त को साफ करता है और हड्डियों को पोषण देता है; रक्त के जमाव में सहायक है ।
➢नमक :यह जीवाणु विरोधी है और कोमा केटोएसीडोसिस को रोकता है ।
➢विटामिन ए, बी, सी, डी और ई : यह अत्याधिक प्यास की रोकथाम करता है और ताकत प्रदान करता है ।
➢लेक्टोस शुगर : यह हृदय को मजबूत करता है, अत्याधिक प्यास और चक्कर की रोकथाम करता है ।
➢एंजाइम्स : यह प्रतिरक्षा में सुधार, पाचक रसों के स्रावन में बढ़ावा देता है ।
➢पानी : यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और रक्त के द्रव को बरक़रार रखता है ।
➢हिप्पुरिक अम्ल : यह तत्व मूत्र के द्वारा दूषित पदार्थों का निष्काषन करता है ।
➢क्रीयटीनिन : यह तत्व जीवाणु विरोधी है ।
➢स्वमाक्षर :यह जीवाणु विरोधी, प्रतिरक्षा में सुधार, विषहर के जैसा कृत्य करता है ।
How To Use Gaumutra Saunthadi Ark – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
10 से 20 मिली अर्क 2-2 गिलोयतुलसी घनवटी के साथ खाली पेट ।
◆ सौंठ के लाभ :
✸सोंठ में आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर, सोडियम, विटामिन ए और सी, जिंक, फोलेट एसिड, फैटी एसिड के गुण पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं ।
✸खाना पचाने में सोंठ बड़ा ही कारगर साबित होता है ।
✸सोंठ के सेवन से कफ भी कम होता है, वात दोष दूर होता है और पित्त की परेशानी खत्म होती है ।
◆ तुलसी के लाभ :
✸तुलसी एक औषधीय पौधा है जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
✸सभी रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर इस औषधीय पौधे को प्रत्यक्ष देवी कहा गया है।
चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता में इसका विस्तार से वर्णन है ।
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