ज्ञानी की गत ज्ञानी जाने…
ज्ञानवान को कैसे पहचाना जाय ? तस्य तुलना केन जायते ? उनकी तुलना किससे करें ? वे हमारे जैसे लेते-देते, खाते-पीते दिखते हैं तो लगता है कि ये भी सामान्य मनुष्य ही हैं, ऐसे भाव आने पर हम उनसे जितना लाभ लेना चाहिए उतना नहीं ले पाते । अंततः मानवजाति का बहुत नुकसान होता है । ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों से मानव-समाज लाभान्वित हो और अपने मनुष्य-जन्म को सफल करे – इस हेतु ‘ज्ञानी की गत ज्ञानी जाने…’ सत्साहित्य में सद्ग्रंथों से उद्धरण लेकर ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों की महिमा का वर्णन किया गया ।
इसमें है :
* गुरु नानकदेवजी की अनुभव-वाणी
* श्री सुखमनी साहिब में ब्रह्मज्ञानी की महिमा
* सभी ज्ञानियों का अनुभव एक समान होता है
* श्री योगवासिष्ठ महारामायण में ज्ञानवान महापुरुषों का वर्णन
* कुछ भी करके मानव का कल्याण करते हैं ज्ञानवान
* मुनि दुर्वासा द्वारा ब्राह्मण को देवी से मिले वरदान को निरस्त करना
* मुनि दुर्वासा का श्रीकृष्णजी द्वारा आतिथ्य-सत्कार
* ब्रह्मवेत्ताओं का व्यवहार – विनोदमात्र
* कैसे होते हैं वे ब्रह्मवेत्ता महापुरुष !
* सर्वनाश से कैसे बचें ?
* सच्चे संतों की निंदा का फल तो भोगना ही पड़ता है
* संतों के गुणदोष न विचारना परंतु उनकी युक्ति लेकर संसार-सागर से तर जाना – श्री वसिष्ठजी महाराज
* संत तुलसीदासजी, गुरु नानकदेवजी, संत भोलेबाबाजी के ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के बारे में अनुभव-वचन
* एक ज्ञानी की आश्चर्य-दशा को उसके जैसा दूसरा ज्ञानीपुरुष ही जान सकता है – अष्टावक्र गीता
* ज्ञानवानों का आदर करके स्वयं भी ज्ञान को उपलब्ध हों
Gyani Ki Gat Gyani Jane : Hindi [ज्ञानी की गत ज्ञानी जाने]
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ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों से मानव-समाज लाभान्वित हो और अपने मनुष्य-जन्म को सफल करे – इस हेतु ‘ज्ञानी की गत ज्ञानी जाने…’ सत्साहित्य में सद्ग्रंथों से उद्धरण लेकर ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों की महिमा का वर्णन किया गया ।
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