हरड़े चूर्ण
भारत में विशेषतः हिमालय में कश्मीर से आसाम तक हरीतकी के वृक्ष पाये जाते हैं । आयुर्वेद ने इसे अमृता, प्राणदा, कायस्था, विजया, मेध्या आदि नामों में गौरवान्वित किया है । Harad Churan Powder एक श्रेष्ठ रसायन द्रव्य है । इसमें लवण छोड़कर मधुर, अम्ल, कटु, तिक्त, कषाय ये पाँचों रस पाये जाते हैं । यह लघु, रुक्ष, विपाक में मधुर तथा वीर्य में उष्ण होती है । इन गुणों से यह वात-पित्त-कफ इन तीनों दोषों का नाश करती है ।
Ingredients – सामग्री
- हरड़ (Terminalia Chebula)
Harad Churna Powder Benefits in Hindi [Harad Churna Powder ke Fayde]
- हरड़ (हरीतकी), शोथहर, व्रणशोधक, अग्निदीपक, पाचक, यकृत-उत्तेजक, मल-अनुलोमक, मेध्य, चक्षुष्य और वयःस्थापक है ।
- रोगों को दूर कर शरीर को स्वस्थ रखने वाली औषधियों में हरड़ (हर्रे) सर्वश्रेष्ठ है ।
- हरड़ चूर्ण गुड़ के साथ निय़मित लेने से वातरक्त (Gout) जिसमें उँगलियाँ तथा हाथ-पैर के जोड़ों में सूजन व दर्द होता है, नष्ट हो जाता है । इसमें वायुशामक पदार्थों का सेवन आवश्यक है।
- हरड़ वीर्यस्राव को रोकती है, अतः स्वप्नदोष में लाभदायी है ।
- उल्टियाँ शुरू होने पर हरड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटें । इससे दोष (रोग के कण) गुदामार्ग से निकल जाते हैं व उल्टी शीघ्र बंद हो जाती है ।
- हरड़ चूर्ण गर्म जल के साथ लेने से हिचकी बंद हो जाती है ।
- हरड़ चूर्ण, मुनक्के (8 से 10) के साथ लेने से अम्लपित्त में राहत मिलती है ।
- शरीर के किसी भाग में फोड़ा होने पर गोमूत्र में हरड़ घिसकर लेप करने से फोड़ा पक कर फूट जाता है, चीरने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
- कब्ज, पाण्डुरोग, अग्निमांध, आम, पुराना अजीर्ण-रोग, जीर्णज्वर, उदररोग, पेट के कृमि, सूजन आदि को दूर करता है । नियमित सेवन से संपूर्ण शरीर की शुद्धि कर दीर्घायुष्य प्रदान करता है ।
- मंदाग्निः- तिक्त रस व उष्णवीर्य होने से यह यकृत को उत्तेजित करती है । पाचक स्त्राव बढ़ाती है । आमाशयस्थ विकृत कफ का नाश करती है ।
- मलावरोधः- 3 से 5 ग्राम हरड़ चूर्ण पानी के साथ लेने से मल का पाचन होकर वह शिथिल व द्रवरूप में बाहर निकलता है, जिससे कब्ज का नाश होता है ।
- ग्रहणी (अतिसार):- हरड़ पानी में उबालकर लेने से मल में से द्रवभाग का शोषण करके बँधे हुए मल को बाहर निकालती है, जिससे दस्त में राहत मिलती है ।
- बवासीरः- 2 ग्राम हरड़ चूर्ण गुड़ में मिलाकर छाछ के साथ देने से बवासीर के शूल, शोथ आदि लक्षणों में आराम मिलता है ।
- अम्लपित्तः- हरड़ चूर्ण, पीपर व गुड़ समान मात्रा में लेकर मिला लें । इसकी 2-2 ग्राम की गोलियाँ बनाकर 1-1 गोली सुबह-शाम लेने से अथवा 2 ग्राम हरड़ चूर्ण मुनक्का व मिश्री के साथ लेने से कण्ठदाह, तृष्णा, मंदाग्नि आदि अम्लपित्तजन्य लक्षणों से छुटकारा मिलता है ।
- यकृत, प्लीहा वृद्धिः- हरड़ व रोहितक के 50 ग्राम काढ़े में एक चुटकी यवक्षार व 1 ग्राम पीपर चूर्ण मिलाकर लेने से यकृत व प्लीहा सामान्य लगती है ।
- खाँसी, जुकाम, श्वास व स्वरभेदः- हरड़ कफनाशक है और पीपर स्निग्ध, उष्ण-तीक्ष्ण है । अतः 2 भाग हरड़ चूर्ण में 1 भाग पीपर का चूर्ण मिलाकर 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ 2-3 बार चाटने से कफजन्य खाँसी, जुकाम, स्वरभेद आदि में राहत मिलती है ।
- कामलाः- हरड़ अथवा त्रिफला के काढ़े में शहद मिलाकर देने से पित्त का नाश होता है, यकृत की सूजन दूर होती है । जठराग्नि प्रज्ज्वलित होती है ।
- प्रमेहः- अधिक मात्रा में बार-बार पेशाब आता हो तो हरड़ के काढ़े में हल्दी तथा शहद मिलाकर देने से लाभ होता है ।
- मूत्रकृच्छ, मूत्राघातः- हरड़, गोक्षुर व पाषाणभेद के काढ़े में मधु मिलाकर देने से दाह व शूलयुक्त मूत्र-प्रवृत्ति में आराम मिलता है ।
- वृषणशोथः- हरड़ के काढ़े में गोमूत्र मिलाकर लेने से वृषणशोथ नष्ट होता है ।
How To Use Harad Churan Powder – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare]
- हरड़ चूर्ण की सामान्य मात्रा 1 से 3 ग्राम ।
- हरड़ के सरल प्रयोग –
- मस्तिष्क की दुर्बलताः- 100 ग्राम हरड़ की छाल व 250 ग्राम धनिया को बारीक पीस लें। इसमें सममात्रा में पिसी हुई मिश्री मिलाकर रखें। 6-6 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से मस्तिष्क की दुर्बलता दूर हो कर स्मरणशक्ति बढ़ती है । कब्ज दूर होकर आलस्य व सुस्ती मिटती है और सारा दिन चित्त प्रसन्न रहता है ।
- अनन्तवात (Trigeminal Neuralgia):- पीली हरड़ की छाल व धनिया 100-100 ग्राम तथा 50 ग्राम मिश्री को अलग-अलग पीस के मिलायें । यह चूर्ण सुबह-शाम 6-6 ग्राम जल के साथ लेने से अनन्तवात की पीड़ा, जो अचानक कहीं माथे पर या कनपटी के पास होने लगती है, नष्ट हो जाती है । इसमें वातवर्धक पदार्थों का त्याग आवश्यक है ।
- 2 ग्राम हरड़ व 2 ग्राम सोंठ के काढ़े में 10 से 20 मि.ली. अरण्डी का तेल मिलाकर सुबह सूर्य़ोदय़ के बाद लेने से गठिया, सायटिका, मुँह का लकवा व हर्निया में खूब लाभ होता है ।
- आँख आने पर तथा गुहेरी (आँख की पलक पर होने वाली फुँसी) में:- पानी में हरड़ घिसकर नेत्रों की पलकों पर लेप करने से लाभ होता है ।
- 3-4 ग्राम हरड़ के छिलकों का काढ़ा शहद के साथ पीने से गले का दर्द, टॉन्सिल्स तथा कंठ के रोगों में लाभ होता है ।
Precaution – सावधानी
- अति श्रम करने वाले, दुर्बल, उष्ण, प्रकृति वाले एवं गर्भिणी को तथा ग्रीष्म ऋतु, रक्त व पित्तदोष में हरड़ का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
- चबाकर खायी हुई हरड़ अग्नि को बढ़ाती है । पीस कर खाय़ी हुई हरड़ मल को बाहर निकालती है । पानी में उबाल कर खाने से दस्त को रोकती है और घी में भूनकर खाने से त्रिदोषों का नाश करती है ।
- भोजन के पहले हरड़ चूस कर लेने से भूख बढ़ती है । भोजन के साथ खाने से बुद्धि, बल व पुष्टि में वृद्धि होती है । भोजन के बाद सेवन करने से अन्नपान-संबंधी दोषों को व आहार से उत्पन्न अवांछित वात, पित्त और कफ को तुरंत नष्ट कर देती है ।
- सेंधा नमक के साथ खाने से कफजन्य़, मिश्री के साथ खाने से पित्तजन्य, घी के साथ खाने से वाय़ुजन्य तथा गुड़ के साथ खाने से समस्त व्याधियों को दूर करती है ।
- छोटी हरड़, सौंफ, अजवायन, मेथीदाना व काला नमक समभाग मिलाकर चूर्ण बनायें । 1 से 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम गर्म जल के साथ कुछ दिन लेने से कान का बहना बंद हो जाता है । इन दिनों में दही का सेवन न करें ।
- हरड़ रसायन योग:-
- हरड़ व गुड़ का सम्मिश्रण त्रिदोषशामक व शरीर को शुद्ध करने वाला उत्तम रसायन योग है । इसके सेवन से अजीर्ण, अम्लपित्त, संग्रहणी, उदरशूल, अफरा, कब्ज आदि पेट के विकार दूर होते हैं । छाती व पेट में संचित कफ नष्ट होता है, जिसमें श्वास, खाँसी व गले के विविध रोगों में भी लाभ होता है । इसके निय़मित सेवन से बवासीर, आमवात, वातरक्त (Gout), कमर दर्द, जीर्ण ज्वर, किडनी के रोग, पाडुरोग व यकृत विकारों में लाभ होता है । यह हृदय के लिए बलदाय़क व श्रमहर है ।
- विधिः-
- 100 ग्राम गुड़ में थोड़ा सा पानी मिला कर गाढ़ी चाशनी बना लें । इसमें 100 ग्राम बड़ी हरड़ का चूर्ण मिलाकर 2-3 ग्राम की गोलियाँ बना लें । प्रतिदिन 1 गोली चूसकर अथवा पानी से लें । यदि मोटा शरीर है तो 4 ग्राम भी ले सकते हैं ।
रसायन जैसा लाभ पाने हेतु….
- 2 से 3 ग्राम हरड़ चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से ‘रसायन’ के लाभ प्राप्त होते हैं ।
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