हिंगादि हरड़ चूर्ण
Hingwashtak Churna
- लगातार सात दिनों तक गोमूत्र में हरड़ को भिगोने के बाद से सुखाकर फिर उसका चूर्ण करके उसमें हींग, अजवायन, सेंधा नमक, इलायची आदि मिलाकर बनाये गये चूर्ण को हिंगादि हरड़ चूर्ण कहते हैं ।
Ingredients – सामग्री
- गोमूत्र, हरड़, हिंगादि, अजवायन, सेंधा नमक, इलायची आदि
- Composition (%) :
- हरड़ (Terminalia Chebula): 50.00
- हींग (Ferula Narthex):00.40
- अजवायन (Trachyspermum Ammi): 25.00
- मीठा सोडा (Sodium Bicarbonate) : 02.00
- इलायची (Elettaria Cardamomum): 00.60
- सेंधा नमक (Rock Salt): 14.00
- काला नमक (Salt): 04.00
- काली मिर्च (Piper Nigrum): 04.00
Hingwashtak Churna Benefits in Hindi [Hingwashtak Churna ke Fayde]
- गैस, अम्लपित्त, कब्जियत, अफरा, डकार, सिरदर्द, अपच, मंदाग्नि, अजीर्ण एवं पेट के अन्य छोटे-मोटे असंख्य रोगों के अलावा चर्मरोग, लीवर के रोग, खाँसी, सफेद दाग, कील मुँहासों वायुरोग, संधिवात, हृदयरोग, बवासीर, सर्दी, कफ, किडनी के रोग एवं स्त्रियों के मासिक धर्म सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है ।
- वर्षा ऋतु वायु की प्रधानता की ऋतु है । इन दिनों में सूर्य की किरणें कम मिलने से जठराग्नि मंद होकर अन्न का पाचन कम होता है और शरीर में कच्चा रस (आम) उत्पन्न होने लगता है । इनमें हींगादि हरड़ चूूर्ण का सेवन हितकारी है ।
- मलावरोध में 3 से 5 ग्राम हरड़ चूर्ण पानी के साथ लेने से मल का पाचन होकर वह शिथिल व द्रवरूप में बाहर निकलता है, जिससे कब्ज का नाश होता है ।
- हरड़ और हींग का उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastro-intestinal Tract) की सफाई और गतिशीलता में सुधार करता है ।
- आपके शरीर में वात को संतुलित कर सकता है और जोड़ों के दर्द से निजात दिला सकता है । इस तरह ये टिशूज, मांसपेशियों और हड्डियों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है ।
How To Use Hingwashtak Churna – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare]
- इस चूर्ण को 1 से 2 छोटी चम्मच सुबह में और दोपहर को भोजन के बाद पानी के साथ ले सकते हैं ।
- आवश्यक लगने पर रात्रि में भी भोजन के बाद इस चूर्ण का सेवन कर सकते हैं किंतु उस रात दूध बिल्कुल न लें ।
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