महकते फूल
संसार में कई प्रकार के संबंध होते हैं । उनमें कुछ संबंध लौकिक होते हैं तो कुछ पारलौकिक, कुछ भौतिक होते हैं तो कुछ आध्यात्मिक । उनमें सबसे विलक्षण, पवित्र और सर्वोपरि संबंध है ‘गुरु-शिष्य का संबंध’ । क्योंकि अन्य सभी संबंध मनुष्य को सदियों से दुःख देनेवाले संसार-बंधन से मुक्त करने में सक्षम नहीं हैं । एकमात्र ‘गुरु-शिष्य संबंध’ ही उसे संसार-बंधन से मुक्त कर सकता है ।
संसार-बंधन से मुक्त करने में समर्थ ऐसे ब्रह्मज्ञानी सद्गुरुओं एवं सत्शिष्यों के मधुर जीवन-प्रसंगों का रसास्वादन कर हम गुरुभक्ति के अमृत से अपने हृदय को परितृप्त एवं जीवन को रसमय बनाकर मनुष्य-जन्म सफल करें – इसी उद्देश्य से सचित्र रंगीन पुस्तक ‘महकते फूल’ का संकलन किया गया है । इसमें दिये गये घटित प्रसंग इस पवित्रतम संबंध के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं ।
इसमें है :
* भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा का गुरु-प्रेम
* भगवान श्रीराम की गुरुसेवा
* छत्रपति शिवाजी महाराज की अनूठी गुरुसेवा
* बाबा फरीद की गुरुभक्ति
* घोड़ागाड़ी मर गयी लेकिन सत्शिष्य रामू की श्रद्धा व गुरु-समर्पण जीवित रहा
* मिलारेपा की आज्ञाकारिता
* संत गोंदवलेकर महाराज की गुरुनिष्ठा
* संत श्री आशारामजी बापू का मधुर संस्मरण
* स्वामी विवेकानंदजी की गुरुभक्ति
* भाई लहणा का गुरु में अडिग विश्वास
* संत एकनाथजी की अनन्य गुरुनिष्ठा
* अमीर खुसरो की गुरुभक्ति
* आनंद की अटूट श्रद्धा
* एकलव्य की गुरु-दक्षिणा
* नाग महाशय का अद्भुत गुरु-प्रेम
* आरूणि की गुरुसेवा
* उपमन्यु की गुरुभक्ति
* श्रीमद् आद्य शंकराचार्यविरचित ‘श्री गुर्वष्टकम्’
* सत्शिष्य को सीख
* श्रीमद् भागवत में गुरु-महिमा
इस पुस्तक को पढ़ने-विचारनेवाला हताश-निराश व्यक्ति भी महान बन सकता है ।
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Mahakte Phool : Hindi [महकते फूल]
₹10.00
Additional information
Net Weight (after packaging) | 80 g |
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