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नीम तेल
Ingredients – सामग्री
- नीम
Neem Oil Benefits in Hindi [Neem Oil ke Fayde]
नीम के सभी अंगो की अपेक्षा इसका तेल अधिक प्रभावशाली है।
- यह उष्ण, वायु नाशक, घाव को शीघ्र भरने वाला, बालों के लिए हितकारी, कृमि नाशक, चर्म रोगों के लिए हितकर एवं रसायन है।
- दाद, खाज, खुजली, शरीर पर लाल चकत्ते निकलना, नये एवं पुराने घाव एवं आमवात आदि में असरग्रस्त भाग पर लगायें एवं 5-10 बूंद पीयें।
- हाथीपाँव में 5-10 बूंद पीयें।
- बाल गिरते हों या बाल पकते हों तो 2-2 बूँद नाक में डालें।
- गठिया व सिरदर्द में- प्रभावित अंगों पर नीम-तेल की मालिश करें ।
- नीम तेल के गुणों में एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इनफ्लेमेट्री और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। यह तेल आरामदायक होता है और खुजली और सूखेपन जैसी समस्याओं को भी कम करता है।
- गठिया के इलाज में, नीम तेल को अस्थिर जोड़ों पर लगाया जा सकता है। इसके लिए, सबसे पहले अस्थिर जोड़ की स्थिति के अनुसार नीम तेल को थोड़ा गर्म करके लें। अब, अस्थिर जोड़ के आसपास नीम तेल को नरम हाथों से मसाज करें। मसाज के दौरान, नीम तेल को अच्छी तरह से अस्थिर जोड़ के चारों ओर घुमाया जाना चाहिए।
- सिरदर्द के इलाज में भी नीम तेल का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए, सिर के ऊपरी हिस्से में नीम तेल को नरम हाथों से मसाज करें। ध्यान रखें कि सिर के बालों के रूप में नीम तेल को नहीं लगाना चाहिए। सिर के माथे और पीछे की ओर नीम तेल को मसाज करना चाहिए।
- नीम तेल के प्रोत्साहित बालों के स्वस्थ विकास और बालों के झड़ने से बचाने के लिए जाना जाता है। यह शैम्पू, कंडीशनर और बाल मास्क जैसे बाल संरक्षण उत्पादों में उपयोग किया जाता है।
- जलने पर : आग से जलने से हुए घाव पर नीम-तेल लगाने से शीघ्र भर जाता है । नीम तेल को थोड़ा गरम कर लें और घाव पर नरम हाथों से लगाएं। नीम तेल को दिन में कई बार घाव पर लगाया जा सकता है।
- यदि आपके घाव बहुत बड़े हैं या जलने के कारण त्वचा में चोट लग गई है, तो आपको अपने चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
- कीट रिपेलेंट: नीम तेल में प्राकृतिक कीटनाशक गुण होते हैं जो मच्छर, चींटियों और बिस्तर बग्स जैसे कीटों को रोक सकते हैं।
- कुष्ठ- रोग, विषमज्वर, सड़े घाव में 5 से 10 बूंद प्रयोग करें।
How To Use Neem Oil – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- असरग्रस्त भाग पर लगायें एवं 5-10 बूंद पीयें।
- नीम तेल एक सब्जी तेल होता है जो नीम के बीजों से निकाला जाता है। यह सदियों से पारंपरिक चिकित्सा और कृषि में विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
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