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Nishchint Jeevan : Hindi [निश्चिंत जीवन]

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निश्चिंत जीवन क्या है ? निश्चिंत जीवन कैसे जियें ? इससे संबंधित संतों के दिव्य अनुभवों एवं गीता, रामायण, उपनिषदों व पुराणों के पावन प्रसंग, जो मानव को निश्चिंत जीवन जीने की ओर अग्रसर करते हैं, उनका संकलन है ‘निश्चिंत जीवन’ सत्साहित्य ।

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निश्चिंत जीवन
आज समाज का हर व्यक्ति चाहे वह अमीर हो या गरीब, रोजगारवाला हो या बेरोजगार, मालिक हो या नौकर, शिक्षक हो या विद्यार्थी – सभी किसी-न-किसी प्रकार के तनाव से, चिंता से ग्रस्त पाये जाते हैं । तनाव-चिंता को हटाने के लिए लोग कई प्रकार के व्यसनों, ड्रग्स आदि की लत में फँसते हैं, कुकृत्यों, फिल्मों, चलचित्रों की शरण लेते हैं । इतना ही नहीं जघन्य अपराध माने जानेवाले आत्महत्या जैसे कृत्य की बढ़ती हुई दर भी इसीका परिणाम है । तनाव-चिंता से बचने के लिए जरूरी है कि हमें निश्चिंत जीवन जीने की कला आ जाय । निश्चिंत जीवन क्या है ? निश्चिंत जीवन कैसे जियें ? इससे संबंधित संतों के दिव्य अनुभवों एवं गीता, रामायण, उपनिषदों व पुराणों के पावन प्रसंग, जो मानव को निश्चिंत जीवन जीने की ओर अग्रसर करते हैं, उनका संकलन है ‘निश्चिंत जीवन’ सत्साहित्य ।
इसमें है –
* चिंता से निश्चिंतता की ओर कैसे चलें ?
* निश्चिंत जीवन कैसे हो ?
* जिसने बाँटा उसने पाया, जिसने सँभाला उसने गँवाया
* …इन तीनों से होता है जीवन में अद्भुत विकास
* अद्भुत है जीवन्मुक्त महापुरुष की महिमा !
* अपनी मान्यताएँ ही दुःख देती हैं, उन्हें कैसे बदलें और निश्चिंत जीवन कैसे जियें ?
* बिना किसी खर्च के सुखी रहना अपने हाथ की बात है लेकिन कैसे ?
* चित्त को शुद्ध करने का एक उत्तम तरीका
* चिंतित वजीर कैसे हुआ निश्चिंत ?
* देह की आसक्ति कैसे मिटायें ?
* सर्व बंधनों से मुक्ति का उपाय क्या है ?
* व्यसन आदि गंदी आदतों से चिंतित न हों अपितु उपाय करें
* वह महायात्रा आज ही क्यों न कर लें ?
* …ऐसी महिमा है ब्रह्माकार वृत्तिवाले सत्पुरुषों की
* धर्मानुष्ठान और शरीर-स्वास्थ्य
* दुनिया में सबके सच्चे हितैषी हैं ब्रह्मज्ञानी सद्गुरु
* राजा रघु का राज-पाट सब छूट गया फिर भी निश्चिंत जीवन कैसे जिया ?
* दास और गुलाम मत बन, तू शहंशाह होकर जी
* धोखा देकर मारे गये मित्र का बदला किस प्रकार चुकाना पड़ा ?
* जीवन को शीघ्र ऊर्ध्वगामी बनाने के लिए…
* पिताजी ! उचित समझें तो मुझे वापस बुलाना… (महर्षि वेदव्यासजी व शुकदेवजी का प्रसंग)
* विवेक जरा-सा कम हुआ कि नाली तैयार हो जाती है
* निज के सुख को जगाओ
* यह सबसे ऊँची बात है

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