Prabhu Rasmay Jeevan : Hindi [प्रभु रसमय जीवन]

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प्रभु–रसमय जीवन

हर घर-परिवार के मुखिया की यह चाह होती है कि उनका पूरा कुटुम्ब सन्मार्ग पर चले, हर माता-पिता अपनी संतान को आदर्श संतान बनाना चाहते हैं, भाई-भाई के बीच आत्मीयता को हर कोई प्रगाढ़ रखना चाहता है, हर पति-पत्नी चाहते हैं कि उनका दाम्‍पत्‍य जीवन आदर्शपूर्ण एवं शांतिमय हो, सभी चाहते हैं कि उनके घर में सासु-बहू में, जेठानी-देवरानी में परस्पर मधुरता हो… लेकिन प्रायः लोगों को अपनी इस उत्तम चाह को पूरा करने की युक्ति व मार्गदर्शन नहीं मिल पाता । परम पूज्‍य संत श्री आशारामजी बापू के सत्‍संग से इस विषय पर चुनिंदा अमृतवचनरूपी पुष्प ‘प्रभु-रसमय जीवन’ पुस्तक के रूप में संगृहित किये गये हैं ।

चिंतनीय लेखों तथा प्रेरक प्रसंगों के माध्‍यम से सुख-शांति हेतु उपयोगी तथा घर-परिवार की समस्‍याओं का सारगर्भित समाधान इस पुस्‍तक में अत्‍यंत सरल भाषा में प्रस्‍तुत किया गया है । इस पुस्तक में आप पायेंगे :

* नर-नारियों को नारायण-नारायणी रूप बनाने में नारियों का महान योगदान !
* गृहस्थाश्रम में सफलता की कुंजियाँ
* पति-पत्नी का कैसा आचरण हो कि उनके बीच स्नेह की सरिता बहे ?
* गृहस्थ-जीवन का उद्देश्य क्‍या होना चाहिए ?
* नौ प्रकार का अमृत, जो घर में रखने से घर बन जाता है स्‍वर्ग-सा
* महर्षि अत्रि के बताये हुए सद्गृहस्थों के आठ लक्षण
* गृहस्थ धर्म के पालन की कुंजियाँ
* स्‍नेह की मधुर मिठास से कैसे सींचे रिश्‍ते-नातों को ?
* बालकों में संस्कार-सिंचन कैसे करें ?
* बच्चों को क्या दें?
* विश्व में भारतीय दम्पति एक-दूसरे से सर्वाधिक सुखी व संतुष्ट (एक सर्वेक्षण)
* दाम्पत्य प्रेम का उत्तम आदर्श : महात्‍मा गांधी और कस्‍तूरबा
* त्याग, साहस व दृढ़ निश्चय की प्रतिमूर्ति : श्रीमति बसु
* …तो आपके घर भी राम और कृष्ण के समान बालक जन्म ले सकते हैं
* सुखमय जीवन का महामंत्र
* जब सास बन गयी माँ
* घर के संघर्ष को कैसे मिटायें ?
* कैसे बहे घर-घर में प्रेम की गंगा ?
* खाया बासी और बन गये उपवासी
* …तो क्या यह है ससुराल की रीति ?
* सच्ची क्षमा का विलक्षण परिणाम !
* जहाँ पहले लूट मची थी, वहाँ अब खुशहाली छायी
* परलोक के भोजन का अभी से अभ्यास हो जाय
* माता-पिता और गुरु की अवज्ञा का फल भोगना ही पड़ता है
* केवल हरिभजन को छोड़कर…

ऐसे घर-परिवार जिनमें रोज झगड़े, कलह, परेशानियाँ रहती हों, परिवार टूटने या बिखरने की कगार पर भी क्‍यों न हो… उन परिवारों को सँभारने में भी यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी । परिवार में सुख-शांति की इच्छा रखनेवाले इस पुस्तक को अवश्य पढ़े तथा अपने परिचितों, मित्रों, पड़ोसियों तक भी यह पुस्तक अवश्य पहुँचायें । इससे न केवल घर-परिवार में आपसी मनमुटाव आदि दूर रहेगा बल्कि आपस में मधुर स्‍नेह की सरिता भी बहने लगेगी ।

Additional information

Net Weight (after packaging) 50 g

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