नित्य पूजा उपासना आदि के लिए सफेद आसन का उपयोग किया जा सकता है।
- सफेद रंग माता सरस्वती का है।
- इससे राहु शांत रहता है।
- सफेद रंग के आसन पर साधना करने से शांति, शुद्धता और पवित्रता का भी आभास होता है।
- श्री गुरुगीता में भी आता है कि बिना आसन किए हुए जप निष्फल हो जाते हैं ।
- जप करने के लिए सामान्यत: सफ़ेद आसन उचित है ।
लाल आसन
- आसन पर पूजा करने के पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है दरअसल पृथ्वी में चुंबकीय बल यानि गुरुत्वाकर्षण है।
- जब कोई व्यक्ति विशेष मंत्रों का ध्यान और जप करता है, तो उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- यदि आपने कोई आसन नहीं रखा है तो यह ऊर्जा पृथ्वी में समा जाती है और आपको कोई लाभ नहीं मिलता है इसलिए पूजा के दौरान आसन बिछाना जरूरी माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार लाल रंग के आसन पर हनुमान जी और मां दुर्गा की पूजा करना सबसे अच्छा माना जाता है।
आसन के नियम
◆पूजा करते समय कभी भी दूसरे व्यक्ति के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
◆इसका इस्तेमाल करने के बाद इसे उठाकर वापस रख दें, इधर-उधर न छोड़े।
◆पूजा के आसन को हमेशा साफ हाथों से उठाकर सही दिशा में लगाना चाहिए।
◆पूजा करने के बाद आसन से सीधे न उठें। सबसे पहले आचमन से जल लेकर भूमि पर चढ़ाएं और भूमि को प्रणाम करें।
◆पूजा स्थल के आसन का प्रयोग किसी अन्य कार्य में न करें।
◆अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद पूजा के आसन को झाड़ना नहीं चाहिए।
Bhupendra –
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