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‘पुनः पुनर्नवा भवति’-जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाय; ‘शरीरं पुनर्नव करोति’ -जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे।
‘पुनर्नवा भवेदुष्णा तिक्ता रूक्षा कफापहा। सशोथपांडुहृद्रोगकासोरः क्षतशूलनुत् ॥’
‘पुनर्नवस्यार्धपलं नवस्य पिष्टं पिबेद्यः पयसार्धमासम् ।
मासद्वयं तत्रिगुणं समां वा जीर्णोऽपि भूयः स पुनर्नवः स्यात् ॥’
Ingredients – सामग्री
- गुण – लघु, रुक्ष
- रस – मधुर, तिक्त, कषाय
- विपाक – मधुर
- वीर्य – उष्ण
Punarnava Ark Benefits in Hindi [Punarnava Ark ke Fayde]
- यह अर्क उत्तम शोथनाशक तथा पीलिया, रक्त की कमी, हलीमक, उदररोग, मूत्रकृच्छ्र, प्रमेह, रक्तपित्त, वृक्क विकार (Kidney Disease ) यकृत् शोथ, बस्ति शोथ, गर्भाशय शोथ आदि विकारों में उत्तम गुणकारी है । पीलिया ,पाण्डु (रक्त की कमी ), हलीमक में गन्ने का रस समान भाग में मिलाकर तथा रक्त पित्त में आँवला रस 1 तोला और मिश्री आधा तोला मिलाकर देने से तथा गर्भाशय शोथ में इसके साथ समान भाग दशमूल अर्क मिलाकर देने से बहुत श्रेष्ठ लाभ होता है।
- पुनर्नवा मूत्रजनन में लाभकारी, त्रिदोषहर, रक्त को बढ़ाने वाला, सूजन को कम करता है तथा कासहर, विषघ्न, हृदय के लिए हितकर भी है ।
- खांसी में, कुष्ठ रोग में, ज्वर में भी पुनर्नवा लाभकारी है ।
दोष कर्म –
यह त्रिदोषहर है । मधुर, तिक्त, कषाय होने से पित्त का तथा उष्ण होने से कफ वात का शमन करता है ।
- पोटैशियम नाइट्रेट की उपस्थिति के कारण यह हृदय की मांसपेशियों की संकुचन क्षमता को बढ़ाता है ।
- दूसरी मूत्रल औषधियाँ जहां शरीर में पोटैशियम नाइट्रेट की मात्रा का ह्रास करती हैं, वहीं पुनर्नवा मूत्रल होने के साथ-साथ पोटैशियम प्रदायक है ।
- किडनी से जुड़ी बीमारियों के खतरे को दूर करने के लिए पुनर्नवा का सेवन करें । एक शोध के मुताबिक पुनर्नवा के पौधे और कुछ अन्य जड़ीबूटियों को मिलाकर बीमार किडनी को स्वस्थ बनाया जा सकता है ।
- एंटी एजिंग गुण होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं ।
- पेट के रोग में गोमूत्र एवं पुनर्नवा का रस समान मात्रा में मिलाकर पियें ।
How To Use Punarnava Ark – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- 2 तोला से 4 तोला, तीन से चार बार आधा तोला मधु मिलाकर या औषधियों के अनुपान रूप में प्रयोग करें ।
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