सद्गुणों की खान : श्री हनुमानजी
पराक्रम, उत्साह, सुशीलता, वीरता, मधुरता, नीति-अनीति का विवेक, गम्भीरता, धैर्य, दक्षता, विनम्रता, निरभिमानिता और इष्टभक्ति – ये सारे सद्गुण हनुमानजी में हैं । बड़े-बड़े कार्यों को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने पर भी उन्हें उसका अहंकार नहीं आता । अष्टसिद्धि व नवनिधि के धनी होने पर भी हनुमानजी ने आत्मविद्या प्राप्ति हेतु रामजी की बिनशर्ती शरणागति स्वीकार की । ऐसे हनुमानजी के गुणों को पाठक समझकर अपने जीवन में लायें, इसी उद्देश्य से ‘सद्गुणों की खान : श्री हनुमानजी’ पुस्तक का निर्माण हुआ है । यह पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के वचनामृत का संकलन है ।
इसमें आप जानेंगे :
* हनुमानजी की कार्यकुशलता व सफलता का राज
* हनुमानजी की अनन्य भक्ति व एकनिष्ठा
* सेवा की उत्तम रीति
* कैसा होना चाहिए सेवक का व्यवहार व विश्वास-सम्पादन करने की कुशलता ?
* हनुमानजी कैसे सरल व प्रभुतत्त्व को पहचानने में निपुण हैं ?
* हनुमानजी की सरलता व बुद्धिमत्ता की झलक
* रोगनिवारक मंत्र
* हनुमानजी की निंदा से आते हैं रोग, पीड़ा व अशांति
Sadgunon Ki Khan Hanumanji : Hindi [सद्गुणों की खान – हनुमानजी]
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अष्टसिद्धि व नवनिधि के धनी होने पर भी हनुमानजी ने आत्मविद्या प्राप्ति हेतु रामजी की बिनशर्ती शरणागति स्वीकार की । ऐसे हनुमानजी के गुणों को पाठक समझकर अपने जीवन में लायें, इसी उद्देश्य से ‘सद्गुणों की खान : श्री हनुमानजी’ पुस्तक का निर्माण हुआ है ।
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