संतकृपा चूर्ण
Sant Kripa Churna संतों की कृपा से बनाई गई एक चमत्कारिक औषधि है । बापूजी बताते हैं बहुत बार भोजन का शरीर पर दुष्प्रभाव भी पड़ता है, संतकृपा चूर्ण उस दुष्प्रभाव को हर कर शरीर को निरोगी बनाता है । आजकल के युग में खानपान अनियमित हो गया है जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर सीधा-सीधा देखा गया है, संतकृपा चूर्ण अनियमित खानपान के दुष्प्रभाव से शरीर को बचाता है ।
- बहुत सारे डॉक्टर Sant Kripa Churna का नियमित उपयोग करके खुद को निरोगी रखते हैं ।
- बापूजी बताते हैं जहां पर दवाई काम नहीं करती वहां पर संतकृपा चूर्ण बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है ।
संतकृपा चूर्ण सामग्री [Ingredients]
- आँवला
- तुलसी
- हरड़
- काला नमक
Sant Kripa Churna Benefits in Hindi
- संतकृपा चूर्ण संतों द्वारा अनुभूत, स्वास्थ्य व उर्जाप्रदायक, पाचक व रोगनाशक अद्भुत योग है ।
- यह भूख को बढ़ाने वाला, रुचिकर, भोजन पचाने में सहायक, कृमिनाशक एवं हृदय के लिए हितकर अनुभूत रामबाण योग है ।
- इसके नियमित सेवन से पाचनशक्ति सबल होकर शरीर स्वस्थ, मजबूत व उर्जावान बनता है ।
- चेहरे में निखार आता है । रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है ।
- थकान दूर होकर प्रसन्नता एवं स्फूर्ति बढ़ती है ।
- रक्त की शुद्धि होने से त्वचा की कांति बढ़ाने में भी सहायक है ।
- मोटापा, मधुमेह, कैंसर, हृदय की रक्तवाहिनियों का अवरोध, उच्च रक्तचाप, रक्त में वसा का बढ़ना आदि बीमारियों में संतकृपा चूर्ण बहुत अधिक लाभदायी है ।
- यह जीर्ण कोशिकाओं को पुनः नवजीवन देता है । स्वस्थ्य व्यक्ति यदि इसका सेवन करता रहे तो निरोगी रहने में मदद मिलती है, उसकी रोगप्रतिकारक क्षमता पुष्ट होगी अतः इसे रसायन कहा जाता है । इसके सेवन से रक्तवाहिनियों की कार्यक्षमता बनी रहती है, जिससे वृद्धावस्था के लक्षण देरी से प्रकट होते हैं ।
- यह अमाशय, मष्तिस्क व हृदय को बल देता है । लीवर की क्रिया को व्यवस्थित करने वाला है ।
- उल्टी , जी मिचलाना, आफरा, कब्ज़, आदि पाचन सम्बंधित तकलीफ़ों में लाभदायी है ।
- इसमें पाए जाने वाले घटक द्रव्यों के कैंसररोधक विशेष गुण है, जिसके कारण यह कैंसर से रक्षा करने में सहायक है ।
- इसमें पाए जाने वाले एंटी हिस्टामिन के कारण यह एलर्जी के कारण होने वाले सर्दी-जुकाम, छींक आना आदि प्रतिक्रिया का शमन करता है ।
Sant Kripa Churna Uses [How to Use]
- 1 चम्मच चूर्ण दिन में दो बार 1 गिलास गुनगुने पानी के साथ
- अथवा 1 चम्मच चूर्ण + शहद + 10 मिली नींबू का रस । (खुराक व्यक्तियों की उम्र, वजन और बीमारी पर निर्भर करता है ) या चिकित्सक द्वारा निर्देशित ।
तत्व विश्लेषण [Detailed Study of Sant Kripa Churna]
- इस चूर्ण में उपयोग किए गए तत्व अपने आयुर्वेदिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं –
आँवला [Amla]
- भारत के धार्मिक ग्रंथों के साथ-साथ आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी आंवला को मानव शरीर के लिए विशेष लाभकारी बताया गया है । ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में वर्णन है कि आंवले में लवण रस (नमकीन स्वाद) को छोड़कर बाकी अन्य पांच रस कटु, अम्ल, तिक्त, कषाय, मधुर होते हैं । यह त्रिदोषनाशक है और कफ-पित्त का अत्याधिक शत्रु है । ‘सुश्रुत संहिता’ में वर्णन है कि आंवला शरीर के दोषों को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है ।
- यह आयुवर्धक औषधि है ।
- यह बुखार कम करने, खांसी ठीक करने और कुष्ठ रोग का नाश करने वाली औषधि है ।
- यह पाचन संबंधित रोगों के लिये रामबाण है ।
- यह पीलिया के इलाज में मदद करता है ।
तुलसी [Tulsi]
- भारत के अधिकतर प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में तुलसी की विशेष महत्ता है । चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में इसका विशेष वर्णन मिलता है ।
- आयुर्वेद के अनुसार तुलसी पित्तकारक, वात-कृमि तथा दुर्गंधनाशक है ।
- पसली का दर्द, अरुचि, खांसी, श्वास, हिचकी आदि विकारों को जीतने वाली है ।
- तुलसी रोग प्रतिरोधक शक्ति को बेहतर करने में, खून में शुगर के स्तर को संतुलित रखने में सहायक है ।
- इसमें बुखार कम करने वाला, एंटी कैंसर, एंटी फंगल गुण भी मौजूद हैं ।
- यह सर्दी – जुकाम, खांसी, एसिडिटी, ज्वर, दस्त, वमन, पेचिस में लाभदायी है ।
- यह सौन्दर्य, बल, ब्रह्मचर्य एवं स्मृतिवर्धक व कीटाणु, त्रिदोष और विषनाशक है ।
हरड़ [Harad]
- हरड़, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है । यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है । आयुर्वेद में तो इसके कई चमत्कारिक फायदे बताए गए हैं । दरअसल, इसे त्रिदोष नाशक औषधि माना जाता है । यह पित्त, कफ और वात के संतुलन को बनाकर रखता है ।
- यह रूखी, गर्म, भूख बढ़ानेवाली, बुद्धि को बढ़ाने वाली, नेत्रों के लिए लाभकारी, आयु बढ़ाने वाली, शरीर को बल देने वाली तथा वात दोष को हरने वाली है ।
- यह कफ, मधुमेह, बवासीर (अर्श), कुष्ठ, सूजन, पेट का रोग, कृमिरोग, स्वरभंग, ग्रहणी, विबंध (कब्ज़), आध्मान , व्रण (अल्सर या घाव), थकान, हिचकी, गले और हृदय के रोग, कामला (पीलिया), शूल (दर्द), प्लीहा व यकृत् के रोग, पथरी, मूत्रकृच्छ्र और मूत्रघातादि (मूत्र संबंधी) रोगों को दूर करने में मदद करती है ।
- हरीतकी अम्ल या एसिडिटी में लाभकारी होती है ।
काला नमक [Black Salt]
- काला नमक को पेट के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है ।
- यह पेट दर्द को दूर करने के साथ-साथ उल्टी, एसिडीटी और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है ।
- यह जलन और ब्लोटिंग जैसी परेशानियों को दूर करने में मदद करता है ।
Precaution :- दवा लेने के 2 घंटे पहले और 2 घंटे बाद तक दूध का सेवन ना करें ।