About
- Name – Zingiber Officinale
- Family – Zingiberaceae
- Chemical Composition – Gingerol
- गुण – लघु, स्निग्ध
- वीर्य – उष्ण
- विपाक – मधुर
- दोष कर्म – कफवातशामक
सस्नेहं दीपनं वृष्यमुष्णं वातकफापहम्। विपाके मधुरं हृद्यं रोचनं विश्वभेषजम् २९६ (च.सू.अ.27)
स्नेह, दीपन, वृष्य तथा उष्ण वीर्य युक्त वात व कफ का नाश करने वाली, हृदय के लिए हितकर तथा भोजन में रूचि बढ़ाने वाली होती है।
Ingredients – सामग्री
- 31 द्रव्यों के सूक्ष्म चूर्ण से बना।
- प्रमुख द्रव्य
- शुंठी चूर्ण, गौ घृत, गौ दूध, चीनी
- इस पाक के लाभादि का वर्णन भगवान महादेव ने माता पार्वती के समक्ष किया था । नारदजी ने इसे ब्रह्माजी के श्रीमुख से सुना था और अश्विनीकुमारों ने इस पाक का निर्माण किया था। सामग्री: शुंठी (सोंठ) २५० ग्राम, गाय का घी ६०० ग्राम, गाय का दूध १ लीटर, शक्कर २ किलो, किशमिश व चिरौंजी ५०-५० ग्राम, हरे नारियल का खोपरा (गिरी) ४०० ग्राम, छुहारा २० ग्राम ।
- औषधि द्रव्य : स्याहजीरा (काला जीरा), धनिया, लेंडीपीपर, नागरमोथ, विदारीकंद, शंखावली, ब्राह्मी, शतावरी, वचा, गोखरू, बला के बीज, तमालपत्र, पीपरामूल, अश्वगंधा व सफेद मूसली २०-२० ग्राम, नागकेसर, चंदन, लौहभस्म व शिलाजीत १०- १० ग्राम । सुगंधित द्रव्य : सौंफ व इलायची २०-२० ग्राम, जायफल, जावित्री व दालचीनी १०- १० ग्राम, केसर ५ ग्राम ।
Saubhagya Sunthi Pak Benefits in Hindi [Saubhagya Sunthi Pak ke Fayde]
सूतिका स्त्री ( प्रसवोत्तर काल में स्त्रियां ) या प्रसूता रोग से पीड़ित स्त्रियां 1-1 गुटिका प्रातः श्याम खाकर बकरी का दूध गरम गरम पीएं।
- इसके सेवन से आमवात, कास, श्वास, पीनस, ग्रहणी, अम्लपित्त रक्तपित्त, क्षतजक्षय अथवा क्षतजकास और राजयक्ष्मा नष्ट हो जाते हैं।
- 20 प्रकार के स्त्री रोग नष्ट हो जाते हैं ।
- स्त्रियों के स्तनद्वय कठिन एवं संपुष्ट हो जाते हैं ।
- इसके सेवन से स्त्रियों का स्वास्थ्य इतना अच्छा हो जाता है, कि उनके लिए सौभाग्य सूचक माना जाता है ।
- शरीर पुष्ट हो जाता है तथा रस रक्त आदि सप्तधातुएं समान रूप से बढ़ जाती हैं।
- सर्दी, खांसी में 10 ग्राम चबा चबाकर खाना होता है, ऊपर से गौ दूध पी लें अथवा च्यवनप्राश अथवा किशमिश खा लें।
[दो-तीन घंटे कुछ ना खाएं, उस पाक को काम करने दें ]
- वात, पित्त, कफ और आम को जड़ से नष्ट कर देती है।
- विषम एवं जीर्ण ज्वरों में लाभकर है।
- वात विकार नष्ट होते हैं, शोथ दूर होता तथा बल की वृद्धि होती है।
- आमवात की यह एक उत्तम औषधि है।
- तीक्ष्णता के कारण यह स्त्रोतोरोध का भी निवारण करती है।
- यह पाक अत्यंत वृष्य और रसायन है।
- स्त्रियों के लिए अमृत तुल्य लाभकारी है, प्रदर, कष्टार्ताव आदि रोग नष्ट होते हैं।
- इस पाक के सेवन से बल, कांति, बुद्धि, स्मृति, उत्तम वाणी, सौंदर्य, सुकुमारता तथा सौभाग्य की प्राप्ति होती • है। प्रसूति के बाद माताओं को यह पाक देने से योनि-शैथिल्य दूर होता है, दूध खुलकर आता है। इसके सेवन से ८० प्रकार के वातरोग, ४० प्रकार के पित्तरोग, २० प्रकार के कफरोग, ८ प्रकार के ज्वर, १८ प्रकार के मूत्ररोग तथा नासारोग (नासिका के रोग, जिनकी संख्या ‘भावप्रकाश’ में ३४ बतायी गयी है), नेत्ररोग, कर्णरोग, मुखरोग, मस्तिष्क के रोग, बस्तिशूल व योनिशूल नष्ट हो जाते हैं।
- मात्र एक दिन इसका सेवन करने से पूज्य बापूजी को इसकी गुणवत्ता का अनुभव हुआ और उन्होंने इसे प्रभावशाली घोषित किया।
How To Use Saubhagya Sunthi Pak – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- लोहे की कड़ाही में घी को गर्म कर उसमें सोंठ को भून लें। सोंठ के सुनहरे लाल हो जाने पर उसमें दूध व शक्कर मिला दें तथा गाढ़ा होने तक हिलाते रहें। बाद में किशमिश, चिरौंजी, खोपरा, छुहारा तथा उपरोक्त औषधि द्रव्यों का चूर्ण
- मिलाकर धीमी आँच पर मिश्रण को पकाते हुए सतत हिलाते रहें । जब मिश्रण में से घी छूटने लगे एवं मिश्रण का पिंड (गोला) बनने लगे, तब जायफल, इलायची आदि सुगंधित द्रव्यों का चूर्ण मिलायें और मिश्रण को नीचे उतार लें। सुगंधित द्रव्यों को अंत में मिलाने से उनकी सुगंध बनी रहती है।
- सेवन विधि : सुबह १० ग्राम पाक दूध के साथ लें। उसके चार से छः घंटे बाद भोजन करें। भोजन में तीखे, खट्टे, तले हुए तथा पंचने में भारी पदार्थ न लें। शाम को पुनः १० ग्राम पाक दूध के साथ लें।
Precaution – सावधानी
दो-तीन घंटे तक कुछ ना खाएं।
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