- गुरूकृपा से बना ये संतकृपा सुरमा अपने आप में अद्भुत है जो एक साथ पित्त कफ के दोषों का निवारण कर आँखों के विविध रोगों को दूर करके आँखों की दृष्टि को निर्मल सुरक्षित व पुष्ट करता है |
- इस रफ्तार से भागते तेज युग में त्वरित लाभ हो, आँखों का तेज बरकरार रहे इसी ध्येय से जन समाज की पीड़ा को स्वयं की पीड़ा अनुभव करने वाले परम दयालु बापूजी ने इस सुरमे में ऐसी पुष्टिकारक औषधि डलवाई हैं जिससे लोगों की पीड़ा दूर हो ।
Surma Kajal Benefits in Hindi [Surma Kajal ke Fayde]
- मोती पिष्टी :- वातवाहिनी, रक्तवाहिनी, मांसपेशियों को सबल बनाते हुए नेत्र कोे हानि करने वाले दोषों को हर लेता है।
- प्रवाल पिष्टी :- आँख में बढ़ी तीक्ष्णता, अम्लता, उष्णता को हर कर स्थानीय नाड़ियों को बल देता है।
- शुद्ध तुतीया :- कई दिनों तक शास्त्रानुसार परिशुद्ध किया ये द्रव्य बाहरी संक्रमण को अपने प्रभावी गुणों से नष्ट करता है।
- काली मिर्च :- आँखों को खराब करने वाले पित्त कफ का नाश करता है।
- चमेली की कली :- अपने तिक्त कषाय गुण से दोषों का हरण।
- नीम की कोपल :- अपने विषाणुहर व तिक्त गुण से आँखों का इन्फेकशन व दूषित कफ पित्त का शमन करती है। इसी प्रकार से अन्य औषधि भी डाली गई है।
- कुशल वैद्यों द्वारा पूज्य बापूजी के मार्गदर्शन में बनी व पूज्यश्री द्वारा अनुभूत यह औषधि आँखों का रक्षाकवच है |
- इसे शास्त्रीय विधि से बनाकर शरद पूर्णिमा की शीतल चाँदनी से पुष्ट किया गया है।
- यह सुरमा नेत्रज्योतिवर्धक व नेत्रपुष्टिकर है।
- आँखों की जलन कम करता है व संक्रमण को ठीक करता हैं।
- टी.वी. देखने, रात में अधिक देर तक जागने व कार्य करने, कम्प्यूटर पर लगातार कार्य करने आदि से उत्पन्न छोटे-बड़े सभी रोगों से यह आँखों की रक्षा करता है।
- आँखों की सुरक्षा हेतु : रात्रि को संतकृपा सुरमा आँखों में लगाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, आँखों की जलन कम होती है तथा विविध नेत्ररोगों में लाभ होता है।
How To Use Surma Kajal – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- सुरमे का उपयोग करने से पहले सलाई को पूरी तरह स्वच्छ व सूखे कपड़े से साफ करें।
- सुरमे का कम-से-कम मात्रा में उपयोग करें । रात को सोते समय इसका एक बार उपयोग करें।
Precaution – सावधानी
- ११ साल से कम उम्र के बच्चों को सुरमा न लगायें।
- किसी भी प्रकार के आँखों के ऑपरेशन या लेंस के उपयोग के बाद सुरमे का प्रयोग न करें।
- इसे साफ और सूखी जगह पर ही रखें।
- पथ्य :- ऑवला का किसी भी रुप में सेवन, काली किशमिश, गाय का दूध, घृत, मूंग के छिलके वाली दाल ।
- अपथ्य :- बाजारू जंक, फास्ट-फूड, दही ।
- पालनीय :- रोजाना प्रातः मुखधावन के बाद मुहँ मे ठंडा पानी का कुल्ला भरकर छोटी कटोरी में भी ठंडा पानी लेकर आँख को उसमें डुबाकर आँख पटपटाना, घुमाना – ये प्रकिया दोनों आँखों में दो बार करनी है। हर बार मुख का पानी भी बदलना, यह विशेष लाभ के लिए है ।
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