त्रिफला टेबलेट
सामग्री-
प्रमुख द्रव्य –
- हरीतकी
- बिभीतक
- आँवला
➢ हरीतकी :~
NAME – Terminalia Chebula
FAMILY – Combretaceae
CHEMICAL COMPOSITION – Chubulic acid
प्रयोज्यांग – फल
➢ बिभीतक :~
NAME – Terminalia Bellirica
FAMILY – Combretaceae
CHEMICAL COMPOSITION – Tanin
प्रयोज्यांग – फल
➢ आँवला :~
NAME – Emblica Officinalis
FAMILY – Euphorbiaceae
CHEMICAL COMPOSITION – Vit C high, galic acid, Ca
प्रयोज्यांग – फल
त्रिफला के गुणकर्म :~
त्रिफला कफपित्तघ्नी मेहकुष्ठहरा सरा ।
चक्षुष्या दीपनी रुच्या विषमज्वरनाशनी ॥ (सुश्रुत 38, भा. प्र./हरीत. 43)
Triphala Tablet Benefits in Hindi [Triphala Tablet ke Fayde]
- त्रिफला कफपित्त का नाश करने वाला होता है ।
- त्रिफला प्रमेह व कुष्ठ का नाश करने वाला होता है ।
- त्रिफला चक्षुष्य होता है अर्थात नेत्र के लिए हितकर होता है ।
- त्रिफला दीपन करने वाला होता है तथा रूचि उत्पन्न करने वाला होता है ।
- त्रिफला विषमज्वर का नाश करने वाला होता है ।
त्रिफला च त्रिदोषघ्नी दीपनी स्यात् रसायनी ।
वृष्या मेहहरा दिव्या नेत्ररोगहरा मता ॥ (ध. नि. मिश्रक / 2) - त्रिफला त्रिदोष का नाश करने वाला होता है। दीपन, रसायन, वृष्य, प्रमेह का नाश करने वाला, दिव्य ( मेध्य ) तथा नेत्र रोगों का नाश करने वाला होता है ।
- त्रिफला रसायन है, नेत्ररोग का नाश करने वाला होता है, रोपण तथा त्वचा का रोग नष्ट करने वाला होता है, क्लेद, मेदोरोग, प्रमेह, कफ और रक्त रोगों को नष्ट करने वाला होता है ।
- त्रिफला मधुर, शीतगुण के कारण पित्त का शमन करने वाला होता है ।
- रूक्ष और कषाय के कारण कफ का शमन करने वाला होता है ।
- त्रिफला वरा और फलोत्तमा इसके पर्याय हैं ।
- मूत्र रोग, पाण्डु रोग, पीलिया, त्वचा विकार और डायबिटीज में लाभप्रद है ।
“आलू रद्दी – से – रद्दी कंद है । इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकारी नहीं है । तले हुए आलू का सेवन तो बिल्कुल ही न करें । आलू का तेल व नमक के साथ संयोग विशेष हानिकारक है । जब अकाल पड़े, आपातकाल हो और खाने का कुछ न मिले तो आलू को आग में भूनकर केवल प्राण बचाने के लिए खायें । आलू का भूलकर भी सेवन न करें । पहले के खाये हुए आलू का शरीर पर कुप्रभाव पड़ा हो तो उसे निकालने के लिए रात को 3-4 ग्राम त्रिफला चूर्ण या 3-4 त्रिफला टेबलेट पानी से लेना हितकारी रहेगा ।” – पूज्य बापूजी
How To Use Triphala Tablet – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
मात्रा और अनुपात : 2 – 3 वटी रात को सोते समय गुनगुना जल से लें ।
सावधानी (Precautions) –
- ठंडे जल से इसका सेवन ना करें और भोजन के 2 घंटे बाद ही लें ।
- जिनका पित्त ज्यादा बढ़ा हुआ है गर्मी ज्यादा लगती हो, तो ठंडे जल से भी ले सकते हैं ।
- शुरू में इसके सेवन से एक या दो पतले दस्त हो सकते हैं किंतु इससे घबरायें नहीं ।
- वृद्ध तथा किसी रोग से ग्रस्त व्यक्ति सेवन की मात्रा वैद्यकीय सलाह-अनुसार निश्चित करें ।
Triphala Tablet Benefits & uses in Hindi (Kaise use kare)
मासों के अनुसार त्रिफला के साथ उसमें उसकी मात्रा के छठे भाग बराबर निम्नलिखित द्रव्यों को मिला के सेवन करने से उसकी उपयोगिता और भी बढ़ जाती है ।
- श्रावण और भाद्रपद – सेंधा नमक
- आश्विन और कार्तिक – शर्करा (मिश्री या खाँड़ अर्थात् अपरिष्कृत शक्कर)
- मार्गशीर्ष और पौष – सोंठ चूर्ण
- माघ तथा फाल्गुन – पीपर का चूर्ण
- चैत्र और वैशाख – शहद
- ज्येष्ठ तथा आषाढ़ – पुराना गुड़
इस प्रकार त्रिफला शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने में सहायक व प्रसादरूप है । (त्रिफला चूर्ण, त्रिफला टेबलेट, शहदयुक्त त्रिफला टेबलेट आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकते हैं ।)
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