अश्वगंधा चूर्ण
- प्रमुख द्रव्य – अश्वगंधा
- NAME – WITHANIA SOMNIFRA
- FAMILY – SOLANACEAE
- CHEMICAL COMPOSITION – CUSEOHYGRINE, ANAHYGRINE, TROPINE, ANAFERINE
- पीताऽश्वगन्धा पयसाऽर्धमासं घृतेन तैलेन सुखाम्बुना वा ।।
- कृशस्य पुष्टिं वपुषो विद्यते बालस्य सस्यस्य यथा सुवृष्टिः ॥
- गुण – लघु, स्निग्ध
- रस – तिक्त,कटु मधुर
- विपाक – मधुर
- वीर्य – उष्ण
- प्रयोज्य अंग – मूल
- दोष कर्म – कफवातशामक
Ashwagandha Powder Benefits in Hindi [Ashwagandha Powder ke Fayde]
- सबसे उत्तम प्रभाव वीर्यवाहिनी नाड़ियों, वातवाहिनी नाड़ियों और मस्तिष्क तथा हृदय पर होता है, जिसके कारण यह चूर्ण मस्तिष्क को पुष्ट करता है ।
- उत्तम शक्तिवर्धक तथा बाजीकरण है ।
- शरीर को हृष्टपुष्ट बनाकर शरीर के वजन को बढ़ाता एवं उत्तम वय:स्थापक है ।
- भ्रम, अनिद्रा, हृदय की कमजोरी को नष्ट करता है ।
- बालशोष में अधिक लाभकर है ।
- इस चूर्ण के सेवन से वीर्य विकार, शुक्रक्षय, वीर्य का पतलापन, शिथिलता, शीघ्रपतन प्रमेह आदि विकार नष्ट होकर वीर्य गाढ़ा और निर्दोष बनता है ।
अश्वगंधा : सप्तधातुवर्धक पौष्टिक औषधि
- अश्वगंधा रस-रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करनेवाली आयुर्वेद की एक श्रेष्ठ औषधि है । यह वात-कफशामक एवं भूखवर्धक है । इसके सेवन से क्षीण शरीर इस प्रकार पुष्ट होता है जैसे वर्षा से छोटे-छोटे धान के पौधे लहलहा उठते हैं । अश्वगंधा विशेषतः मांस व शुक्रधातु की वृद्धि करती है ।
For female & Male –
बल-वीर्यवर्धक व पुष्टिकारक अश्वगंधा पाक
- अश्वगंधा के साथ वंशलोचन, जटामासी, अभ्रक भस्म, लौह भस्म, केसर, चंदन आदि बहुमूल्य औषधियों को मिलाकर बनाया गया अश्वगंधा पाक बल-वीर्यवर्धक, पुष्टिकारक, रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला श्रेष्ठ रसायन है । सर्दियों में अश्वगंधा पाक का सेवन करने से वर्षभर शरीर में शक्ति, स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है । इसे युवा, स्त्री, पुरुष व वृद्ध भी ले सकते हैं ।
- अश्वगंधा पाक स्नायु व मांसपेशियों को बल प्रदान करने तथा वात विकारों को दूर करने हेतु रामबाण औषधि है । यह कमर दर्द हाथ-पाँव,जाँघों का दर्द एवं दुर्बलता, गर्भाशय की दुर्बलता, अनिद्रा, बहुमूत्रता, स्वप्नदोष, क्षयरोग आदि रोगों के लिए उत्तम औषधि है । यह स्मरणशक्ति की कमी, उन्माद, मानसिक अवसाद (depression) आदि मनोविकारों में भी लाभदायी है ।
For Height for Kids
- बालकों के विकास के लिए अश्वगंधा विशेष लाभदायक है ।
- अनिद्रा, क्षय तथा बालकों के बालशोष में भी वह लाभप्रद है ।
- एक श्रेष्ठ बल्य रसायन
- अश्वगंधा टेबलेट
यह सप्तधातु, विशेषकर मांस व वीर्य वर्धक एवं बल व पुष्टि वर्धक श्रेष्ठ रसायन है । यह स्नायुओं व मांसपेशियों को ताकत देती है व कद बढ़ाती है । धातु की कमजोरी, शारीरिक दुर्बलता आदि के लिए यह रामबाण औषधि है । बुखार आदि के बाद आयी कमजोरी दूर करने हेतु उत्तम है ।
How To Use Ashwagandha Powder – उपयोग विधि [Kaise Upyog Kare] – Dosage
- 3-6 ग्राम, सुबह शाम दूध या जल के साथ दें ।
- अश्वगंधा सिद्ध दूध १ कप दूध में १ से २ ग्राम अश्वगंधा चूर्ण तथा १ कप पानी मिला लें । धीमी आँच पर इतना अश्वगंधा चूर्ण उबालें कि पानी पूरा वाष्पीभूत हो जाय । इसमें आवश्यकतानुसार मिश्री भी डाल सकते हैं ।
- इसका सुबह खाली पेट सेवन करें । इससे रक्त की वृद्धि होती है एवं वीर्य पुष्ट होकर धातुक्षीणता दूर होती है ।
- जिनको खाँसी, कफ, दमा की तकलीफ हो वे आधा से १ चम्मच अश्वगंधा चूर्ण १ चम्मच शहद के साथ लें ।
- जिनको पित्त की तकलीफ हो वे अश्वगंधा चूर्ण को आँवला रस अथवा देशी गाय के घी के साथ लें ।
जैसे अच्छी बारिश ऊगते हुए अनाज को पोषण देकर बड़ा करती है, वैसे ही आधे महीने तक घी, तेल अथवा गरम पानी के साथ ली हुई अश्वगंधा (आसोद) दुबले तन को हृष्टपुष्ट बनाती है ।
अश्वगंधा चूर्ण किराने की दुकान में मिलता है । जो बहुत पुराना न हो, नया हो उसे ही पसंद करना चाहिए । शीतकाल में अश्वगंधा विशेष हितकर है । सुबह खाली पेट घी, तेल अथवा गरम पानी के साथ अश्वगंधा चूर्ण ३ से ६ ग्राम लें । उसके बाद दोपहर को जब भूख लगे तब भोजन से पूर्व सैंधा नमक और अदरक लेकर, दूध-भात अथवा दूध में बनाई हुई चावल की राब ली जाये तो सचमुच अश्वगंधा बलप्रद और वजन बढ़ाने वाली बनती है ।
- अश्वगंधा के मूल को, कूटिये चूर्ण बनाय ।
- दूध साथ सेवन करें, तन-यौवन खिल जाय ॥
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